अनूप नारायण सिंह
कोशी की आस@पटना
छह दर्जन से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री गुंजन पंत भोजपुरी की समकालीन सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में शुमार है। कार्डियोलॉजिस्ट बनने का सपना लिए भोपाल की गुंजन पंत ने नूतन कॉलेज से पढ़ाई की, किन्तु डांस में उनकी रुचि के कारण जैसे ही उन्हें म्यूजिक एलबम और एक के बाद एक भोजपुरी फिल्मों के ऑफर मिला, गुंजन कार्डियोलॉजिस्ट के बजाय एक्ट्रेस बन गईं।
सावधान इंडिया जैसे कई हिंदी सीरियल्स में भी काम कर चुकी गुंजन को भोजपुरी संस्कृति से प्यार हो गया है। गुंजन कहती हैं कि अब हम भोजपुरी अच्छे से जान गए हैं। 12 साल से भोपाल से दूर भोजपुरी इंडस्ट्री में जाना-माना नाम बन चुकीं गुंजन को भोजपुरी भाषा, गाने और कल्चर से इतना लगाव हो गया है कि वे हिंदी फिल्मों में स्ट्रगल करने के लिए भी मना करती हैं। बातचीत के क्रम गुंजन ने कहा कि भोजपुरी फिल्मों का भविष्य उज्जवल है आज भोजपुरी फिल्में हिंदी के समानांतर अपना बाजार तेजी से बना रही है।
उन्होंने कहा कि जब फिल्म स्टार से ज्यादा स्टोरी पर आधारित होगी तो दर्शकों को ज्यादा पसंद आएंगी। भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता दुअर्थी संवाद पर उन्होंने कहा कि सब पर बाजारवाद हावी है। हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है, उस लक्ष्मण रेखा को पार करने की इजाजत किसी को नहीं है। एक कलाकार होने के नाते भोजपुरी भाषा को सबसे आगे देखना चाहती हैं।
अपनी हालिया प्रदर्शित फिल्म “ये इश्क बड़ा बेदर्दी है” पर चर्चा करते हुए गुंजन ने कहा कि फिल्म लव स्टोरी आधारित है। इसमें रोमांस, थ्रिल, सस्पेंस और कॉमेडी है। फिल्म में वे राधा का किरदार कर रही फिल्म के हीरो रोहित राज कृष्णा बने हैं जबकि रानी चटर्जी मीरा। एक वक्त आता है कि जिंदगी में एक बार, हर एक इंसान को प्यार होता है। 80 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी गुंजन ने कहा कि फिल्म “लक्ष्मण रेखा” उनकी सबसे यादगार फिल्म है। पिछले 12 वर्षों से भोजपुरी सिनेमा में वे पूरी शिद्दत के साथ सक्रिय हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्मों के ऑफर होने के बावजूद भोजपुरी में काम करती रहेंगी। एक्शन क्वीन मधुबाला और अपरिचित शक्ति उनकी आने वाली हिंदी फिल्में हैं। उनकी बहू प्रतीक्षित भोजपुरी फिल्म यादव पान भंडार भी जल्द ही रिलीज होने वाली है। विनय आनंद, दिनेश लाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, खेसारी लाल, रोहित राज यादव के साथ ऑनस्क्रीन खुद को वे सहज पाती हैं। नवोदित कलाकारों के साथ काम करने से भी उन्हें गुरेज नहीं। भोजपुरी फिल्मों से दर्शकों की बेरुखी पर उनका कहना है कि एक ही परिपाटी की कहानी और फिल्मों में एक ही तरह है गाने देखते-देखते दर्शक ऊब चुके है।
भोजपुरी का बड़ा दर्शक वर्ग है लेकिन उनकी पसंद के हिसाब से फिल्म नहीं बन रही है इसी कारण से लोग सिनेमाघरों में नहीं आ रहे हैं। गुंजन ने कहा कि बिहार में सिनेमाघरों की स्थिति कस्बाई इलाके में बेहद ही खराब है, घुटन के माहौल में दर्शक सिनेमाघरों की तरफ नहीं रुख कर रहे हैं। सरकार को भोजपुरी फिल्मों को टैक्स में छूट भी देनी चाहिए। भोजपुरी में फाइनेंसरों की कमी नहीं है, भोजपुरी फिल्मों की कहानियां हिंदी फिल्मों से कॉपी की गई होती है जिस कारण से दर्शकों की रुचि भोजपुरी फिल्मों से हट रही है। पूरी ईमानदारी से भोजपुरी के परिवेश के अनुरूप फिल्म बनाई जाए तो सिनेमाघरों की तरफ दर्शक भारी तादाद में आना शुरू करेंगे।कहानी की डिमांड के हिसाब से सब कुछ हो तो फिल्म चलेंगी।
यू-ट्यूब और भोजपुरी एल्बम को भी भोजपुरी सिनेमा के गिरते व्यवसाय का प्रमुख कारण मानती हैं। गुंजन कहती है कि अगर कलाकार अपने टैलेंट के बल पर भोजपुरी सिनेमा में आए तो जरुर सफल होंगे अच्छे और बुरे लोग सभी जगह हैं लेकिन अगर आपके अंदर टैलेंट है और जोश जुनून से लबरेज हैं तो आपको मंजिल जरुर मिलेगी आप अपने काम पर ध्यान दीजिए लोग खुद ब खुद आपके पास चलकर आएंगे। बिहार के साथ अपने लगाव के बारे में गुंजन कहती हैं कि वो आज जिस मुकाम पर हैं वह बिहार और भोजपुरी भाषा भाषी लोगों का ही प्रेम और दुलार है भले उनकी जन्म भूमि बिहार नहीं है लेकिन कर्मभूमि बिहार ही है। बिहार के लोगों का कर्ज वे नहीं उतार सकती, यहां के लोगों का मिलनसार स्वभाव स्नेह प्यार अपनी ओर आकर्षित करता है।