आपसी भाईचारे और एकता का त्योहार : होली

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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व पारम्परिक रूप से मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में होली के पर्व का अद्वितीय स्थान है। यह पर्व उमंग, उल्लास, उत्साह, जोश और मस्ती का पर्व है। होली का पर्व देश व समाज में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाला पर्व है। होली का पर्व जलवायु परिवर्तन का भी संकेत देता है। यह पर्व पूरे भारत तथा नेपाल में खूब धूमधाम और उमंग के साथ मनाया जाने वाला पर्व हैं। इस पर्व का प्रारम्भ होलिकादहन से होता है। इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान सभी आपसी वैर भुलाकर होली खेलते हैं । सभी होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं । वे एक-दूसरे पर रंग डालते हैं तथा गुलाल लगाते हैं ।

होली का त्योहार प्रेम और सद्‌भावना का त्योहार है परंतु कुछ असामाजिक तत्व प्राय: अपनी कुत्सित भावनाओं से इसे दूषित करने की चेष्टा करते हैं । वे रंगों के स्थान पर कीचड़, गोबर अथवा वार्निश आदि का प्रयोग कर वातावरण को बिगाड़ने की चेष्टा करते हैं । कभी-कभी शराब आदि का सेवन कर महिलाओं व युवतियों से छेड़छाड़ की कोशिश करते हैं । हमें ऐसे असामाजिक तत्वों से सावधान रहना चाहिए । आवश्यकता है कि हम सभी एकजुट होकर इसका विरोध करें ताकि त्योहार की पवित्रता नष्ट न होने पाए ।

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होली का पावन पर्व यह संदेश लाता है कि मनुष्य अपने ईर्ष्या, द्‌वेष तथा परस्पर वैमनस्य को भुलाकर समानता व प्रेम का दृष्टिकोण अपनाएँ । इस दिन लोग एक दूसरे के साथ प्रेम के रस में सराबोर हो जाते हैं। कहा जाता है कि लोग होली के दिन आपस में पुरानी से पुरानी वैमनस्यता और कटुता को भुलाकर होली के रंग में मदमस्त हो जाते हैं। मौज-मस्ती व मनोरंजन के इस पर्व में हँसी-खुशी सम्मिलित हों तथा दूसरों को भी सम्मिलित होने हेतु प्रेरित करें । यह पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत है । हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम इसकी मूल भावना के बनाए रखें ताकि भावी पीढ़ियाँ गौरवान्वित हो सकें। सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बिंदु ब्रज की होली है, जिसमें बरसाने की लटठमार होली सर्वाधिंक प्रसिद्ध है। मथुरा – वृंदावन में होली का पर्व 15 दिनों तक मनाया जाता है।

इतिहासकारों का मत है कि होली का यह पर्व आर्यों सहित समाज के सभी वर्गों में प्रचलित था। होली के पर्व का उल्लेख मुगल यात्री अलबेरूनी के ग्रंथों, सर्वाधिक लोकप्रिय किस्सों में “अकबर का जोधाबाई ” के साथ और “जहांगीर का नूरजहाँ ” के साथ होली खेलने का वर्णन, विजयनगर की राजधानी हंपी के 16वीं शताब्दी के एक चित्रफलक में दंपति के होली मनाने का चित्र अंकित है, तो वहीं मध्यकालीन भारतीय मंदिरों के भित्तिचित्रों और आकृतियों में होली के रंग देखने को मिल जाते हैं। साहित्य में जैमिनी के पूर्व मीमांसा सूत्र और कथाग्राहसूर्य उल्लेखनीय हैं। नारद और भविष्यपुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है। संस्कृत साहित्य में हर्ष की प्रियदर्शिका व रत्नालीला तथा कालिदास की कुमारसंभवम तथा मालविकाग्निमित्रम में, साथ ही चंदवरदाई के पृथ्वीराज रासो में होली का वर्णन मिलता है। आधुनिक परिवेश में आधुनिक हिंदी फिल्मों का पसंदीदा विषय होली का रहा है। शशि कपूर की फिल्म उत्सव, यश चोपड़ा की अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत फिल्म सिलसिला –रंग बरसे भींगे चुनर वाली ……आदि ,उल्लेखनीय है।

इन सब के अलावा आज के बदलते परिवेश में या यूँ कहें कि इस भागा-दौरी की ज़िंदगी में हम अपनों से ही दूर होते जा रहे हैं । कहते हैं की ज़िंदगी की शुरुआत घर से होती है, तो आइये इस होली में अपनों के लिए भी कुछ वक्त निकालें :-

दिलों की दूरियाँ मिटाने का सही वक्त है होली । रिश्ते निवेश की तरह है। इन्हें बेहतर बनाने के लिए अपनी ओर से हरसंभव प्रयास करें । इस पहल के लिए होली का मौका सबसे बेहतर है । इस दिन अपनों की नाराजगी दूर कर उन्हें फिर से अपनेपन का एहसास दिलाएं।

वैवाहिक जीवन में यह अपनाएं:-

1 अपने रिश्ते का मूल्यांकन करें और उचित रूप से यह जानने की कोशिश करें कि आपके व्यवहार में कौन सी ऐसी बातें हैं जो जीवन साथी को नागवार है । कोशिश करें की वैसा व्यवहार दुबारा न करें । इससे रिश्तों की खटाश कम होगी ।

2. पति-पत्नी की पसंद, ना पसंद और रुचियां हमेशा एक जैसी नहीं होती। एक खास उम्र के बाद किसी भी इंसान के लिए अपने व्यक्तित्व को बदल पाना संभव नहीं होता । इसलिए साथी जैसा है, उसे स्वीकार करें और उसके साथ खुश रहे ।

3. जितना हो सके आपसी बहस से बचे। कोशिश करें कि उन मुद्दों को छेड़ा ही ना जाय, जिन पर आप दोनों के विचार मेल नहीं खाते हो। इससे रिश्ते में बेवजह तनाव बढ़ने से रोका जा सकेगा और परिणाम परिवार में खुशियां बनी रहेगी।

4. क्वालिटी टाइम और पर्सनल स्पेस के बीच संतुलन बनायें । फुर्सत के कुछ ऐसे पल निकालें, जब एक दूसरे के साथ भावना बाँट सके। साथी को कभी अकेला भी छोड़े।

प्रोफेशनल लाइफ में यह करें

1. ऑफिस में अक्सर प्रोफेशनल मुद्दों को लेकर सहकर्मियों के बीच बहस हो जाती है लेकिन ऐसी बातों को दिल पर ना लें और अपना व्यवहार हमेशा संयत रखें। ऑफिस की बात ऑफिस में छोड़कर आए ताकि आप घर में सकुन के साथ रह सकें।
2. करियर में सफलता के लिए काम के अलावा सहकर्मियों के साथ आपका व्यवहार और प्रदर्शन शालीन और सहयोगपूर्ण होना चाहिए। दूसरों की मदद पाने से पहले उसकी मदद करना सीखना चाहिए।
3. ऑफिस में इधर-उधर की बातों से बचें । किसी के व्यक्तिगत जीवन में बेवजह दखलअंदाजी ना करें। इससे आपके कीमती वक्त की भी बर्बादी होती हैं और काम भी प्रभावित होता है। इस तरह बेवजह टेंशन लेने से बच सकते हैं।
4. आप जिस क्षेत्र में कार्यरत हैं, उसमें बेहतर भविष्य के लिए उस क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ परिचय बढ़ाने की कोशिश करें। कार्यक्षेत्र में आने वाले नवीनतम बदलाव से स्वयं को अपडेट रखें ताकि आपकी तरक्की संभव हो सके।

 

परिवार समाज के लिए

1.पहले अपने बच्चों के साथ संबंध बेहतर बनाएं, क्योंकि वही आपकी असली धरोहर है। उनके साथ प्यार से पेश आयें और उनकी छोटी छोटी बातों में दिलचस्पी लें । भावनात्मक रूप से उनके करीब आना भी आपके लिए जरूरी है।
2.आप अगर संयुक्त परिवार में रहते हैं तो पति/पत्नी और बच्चों के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों विशेष रूप से बुजुर्गों का पूरा ख्याल रखें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें, हो सके तो कभी-कभी साथ घूमने जाएं।
3. आपके आस-पास के पड़ोसी ही है जो वक्त जरूरत में दिन रात आपके साथ खड़े रहते हैं। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी है कि पड़ोसी के साथ रिश्तों को अहमियत और सम्मान दे। उनसे प्रेम संबंध बनाने की पहल करें, तो बेहतर होगा।
4. अगर किसी दोस्त या रिश्तेदार से अनबन हो तो रिश्ते की इस कटुता को और न बढ़ाएँ, बल्कि होली के इस त्यौहार में उनसे मिलने जाएँ और उन्हें तिलक व रंग लगाकर नफरत और नाराजगी के मैल को धो लेना चाहिए।

Pic Source- Google Internet

निवेदन:- “कोसी की आस” टीम विनम्रता के साथ अपने पाठकों से कहना चाहती है कि हम-सभी अपने सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों को सहेजते हुये, आपसी भाईचारे और सौहार्द के साथ के रंगों का त्योहार होली मनायेंगे ऐसा प्रण लें। “कोसी की आस” टीम की ओर से आप सभी को इस रंगीन पर्व की अद्भुत, अकल्पित, अविस्मरणीय, अद्वितीय और अनुपम शुभकामनायें।

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