आखिर और कितने निर्भया को निर्ममता से मारेंगे, क्या प्रियंका आख़िरी थी???

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स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@नई दिल्ली

आखिर और कितने तथा कब तक? शब्द कम पर रहे हैं। कुछ भी बोलने और कहने को…. लेकिन जड़ा सोच के देखिए…. जो घटना डॉक्टर प्रियंका रेड्डी के साथ हुआ, उसने न सिर्फ हमको, आपको बल्कि समूचे देश को झकझोर दिया है। अभी तक भूले कहाँ थे निर्भया को, इतने सालों बाद अबतक निर्भया के माँ-बाप उसे इंसाफ दिलाने कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। याद है ना 7 वर्ष पहले, हमलोगों ने कितनी मोमबत्तियां जलाई थी लेकिन 7 वर्षों बाद जब हम एक निर्भया को इंसाफ नहीं दिला पाए और बीते 7 वर्षों में दरिंदों ओर कितनों को अपनी दरिंदगी का शिकार बना लिया तो प्रियंका को खाख इंसाफ दिला पाएंगे।

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डॉ प्रियंका की बात करें तो कितनी दरिंदगी की उन दरिंदों ने उसके साथ। स्तब्ध हूँ यह सोच कर कि समाज में ऐसे विकृत मानसिकता वाले लोगों की संख्या किस कदर बढ़ती जा रही है जो जननी के लिए ही घातक बनती जा रही है। यूँ तो हमने (21वीं सदी) अबतक काफी तरक्की की है, हम चाँद पर पहुँच गये हैं, मंगल को छूने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन जड़ा सोच कर देखें कि आखिर हमारा समाज/हमारा देश किस दिशा में जा रहा है। आखिर ये तरक्की वास्तविक है या फिर हम काल्पनिक तरक्की में गुम से हो गए है और इन्हीं वजहों से इन शैतान/दरिदों के हौंसले बढ़ रहे हैं।

सोचने भर से ही अजीब सा सिहरन होने लगता है। बात यह नहीं कि यह पहली घटना है या फिर यह भी नहीं कि इस तरह की कोई नई घटना घटी है, बात यह भी नहीं कि अब सभी बात करेंगे कि आखिर कब तक, बल्कि अब बात ये भी होनी चाहिए कि “क्यों नहीं”, जी हाँ बात यह होनी चाहिये कि क्यों नहीं इन बलात्कारियों को ऐसी सजा मिले कि इस अतुलनीय भारत, अमूल्य भारत की धरती पर, सुसंस्कृत समाज वाले इस देश में कोई भी इस तरह घटना तो दूर , कोई इस तरह की बातें सोच भी न सकें। साथ ही सिर्फ दोषियों को फांसी भर देने से समाधान नहीं होगा बल्कि हमसबको अपने-अपने परिवार में नैतिक मूल्यों पर काम करना होगा ताकि इस तरह के दरिंदे पैदा ही न हो।

आजकल हमलोग हर किसी भी घटना को धर्म, जाति और स्थान आदि से जोड़ने में इतनी जल्दबाजी करते हैं कि शायद हम भूल जाते हैं कि इस तरह की घटना हमारे आसपास या फिर हमारे साथ भी हो सकते हैं।

आम तौर पर इस तरह की घटना घटने के बाद हमलोग, मैं भी उसमें शामिल हूँ, सोशल मीडिया यथा फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर बहुत सक्रिय हो जाते हैं और फिर कुछ समय के बाद हम भूल जाते हैं, जैसे कोई घटना ही न घटी हो। निर्भया रेप कांड के बाद भी पूरे देश में एक क्रांति सा उबाल आ गया था, जिसे याद कर आज भी हमलोग विचलित हो जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य, हम सब जानते हैं कि अभी भी 16 दिसंबर 2012 की उस काली रात में घटी घटना का फैसला अभी भी कोर्ट में लटका पड़ा है। मैं समझता हूँ कि सरकार के साथ-साथ कोर्ट को भी इस प्रकार के मामलों के निपटारे में प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि त्वरित कार्यवाही से इस तरह की घटना को रोका जा सके।

मेरा ये मानना है, मेरा अपना मत है कि शायद हमें इस तरह के घटना में जिम्मेदार लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जरूरत है। हमारे देश में जबतक लोगों के मन में डर या खौफ पैदा नहीं होगा शायद, बहुत मुश्किल लग रहा है कि इस प्रकार की घटना को रोका जा सके।

मैं आपको एक छोटा से उदाहरण से बताना चाहूँगा कि डर क्या होता है? लोग Delhi Metro या फिर किसी भी Metro में सवारी करते वक़्त गुटका, पान मसाला या फिर कोई भी खाद्य पदार्थ के रैपर तक को नीचे नहीं फेकते, क्योंकि उन्हें डर होता है कि मुझे जुर्माना देना होगा, CCTV लगा है, लेकिन वही जब इंडियन रेलवे में सफर करते हैं तो यत्र-तत्र गंदगी फैलाते हैं, क्योंकि वहाँ उन्हें जुर्माने देने का डर नहीं है। यह महज़ उदाहरण था कि “डर क्यों जरूरी है”।

इसलिए समाज में मौजूद विकृत सोच वालों में डर पैदा करने के तरीकों के बारे में हमसबको सोचना होगा ताकि ऐसी गंदी मानसिकता वाले लोगों को इस तरह की घटना को अंजाम देने से रोका जा सके। सरकार इस तरह की घटनाओं के लिए जबतक बहुत ही कठोर कानून नहीं बनाएगी, इस तरह की घटना को रोक पाना मुश्किल प्रतीत होता है।

अंत “कोसी की आस टीम” अपने सभी पाठकों से निवेदन करती है कि इन मुद्दों पर राजनीति या धार्मिक उन्माद जैसी बातें करने के बजाय इन दरिंदों को रोकने के लिए कठोर कानून संबंधी आवश्यक सुझाव सरकार को दें, साथ ही हमसब आपस में मिलकर कैसे एक सभ्य समाज का निर्माण कर सकें उस विषय पर गंभीरता से कार्य करना होगा।

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