आख़िर ख़ुशी है क्या और कहाँ है?

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हर इंसान को ऐसा लगता है कि वो खुश नहीं है, उसे थोड़ी और खुशी मिलनी चाहिये। परंतु ऐसा नहीं है। कुछ दिनों पहले रेडियो टेलीविजन पर एक प्रचार आता था कि खुशी कोई पड़ोस की लड़की नहीं है बल्कि खुशी वो चीज है जो आपके अंदर से, आपके दिल से आवाज आती है, आपके दिमाग में आती है बशर्ते आप चाहेंगे तब। हमें अपने जीवन में खुश होने के बहुत मौके आते हैं लेकिन हम उसमें खुशियां नहीं तलाशते। हर छोटी-से-छोटी चीजों में हमें खुशी ढुंढनी चाहिये, जैसे आपका जन्मदिन हो, बच्चों के साथ आप समय बीता रहे हो, बालकनी में चाय की चुस्कीयों के साथ बारिश में हरयाली निहारती आपकी आखें, दोस्तों के साथ हसीं-ठहाके लगा रहे हों वगेरह-वगेरह। किसी ने कहा है कि “भगवान हमें जिस परिस्थिति में रखें, हमें उसी परिस्थिति में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिये”

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हम-आप जरा सोचें कि बहुत सारे लोग संसार में ऐसे हैं जिन्हें शारिरिक रुप से कई सारी परेशानियाँ है लेकिन फिर भी वो काफी खुश रहते हैं और खुश रहने की कोशिश करते हैं और एक वे लोग हैं जो सबकुछ रहने के बाद भी हमेशा परेशान रहते हैं। आइये इसी से जुड़ी एक कहानी जानते हैं-

एक शादीशुदा जोड़ा था जिन्हें हमेशा अपने में कमियाँ नजर आती थी। वे दोनों काफी परेशान रहते थे। उन्हें पता चला कि पास के गाँव में कोई मुनि-महात्मा आया है, जो लोगों की तकलीफ दूर कर देता है। ये जोड़े भी उस महात्मा से मिले। महात्मा ने उन्हें कहा कि आप दोनों पहले पूरी दुनिया का सैर करके आओ और जो सबसे खुश आदमी होगा उसके कपड़े का थोड़ा सा टुकड़ा / हिस्सा लेते आना। फिर मैं आपको खुश रहने का राज बता दूंगा। वे दोनों यात्रा पर निकल पड़े। एक जगह उन्हें पता चला कि वहाँ का दीवान अपनी पत्नी के साथ काफी खुश है। वे दोनों जब उनसे मिले तो उनसे पूछा कि क्या आप सबसे ज्यादा खुश हैं,  उन्होंने कहा कि वैसे तो हम खुश हैं लेकिन हमारी कोई संतान नहीं है।

एक अन्य शहर में एक सेठ और उसकी पत्नी से पूछा कि क्या आप सबसे ज्यादा खुश हैं? उन्होंने कहा कि हाँ हमलोग खुश तो हैं लेकिन हमारे बहुत से बच्चें हैं जिस कारण जिंदगी कठिन हो गई है। चलते-चलते एक दूर रेगिस्तान में एक गड़ेरिया मिला। उनदोनों ने वही सवाल उस गड़ेरिया से भी किया तो उसने कहा कि हाँ, दुनिया में वह सबसे ज्यादा खुश है। यह सुनकर वे दोनों जोड़े काफी खुश हुये। फिर उन्होंने कहा कि आप अपने कपड़े का एक छोटा सा हिस्सा काटकर हमें दे दो। लेकिन उस गड़ेरिया ने यह कहकर मना कर दिया कि उसके पास बस एक ही शर्ट है। हताश होकर वे लोग महात्मा के पास वापस आये और उन्हें अपनी अनुभव सुनाई। महात्मा ने कहा कि अब तुम्हें समझ में आ गया होगा कि इस दुनियाँ में कोई भी पूरी तरह से खुश नहीं है। इसलिए शत-प्रतिशत खुशी तलाशने में अपना जीवन बर्बाद करना मूर्खता है। इसलिए जो भी तुम्हारे पास है उसका भरपूर आनंद लेते हुए जीवन जियो।

खुशी भीतर से पैदा होती है। उसे आप स्थाई रूप से खरीद नहीं सकते, उसे आप जीत नहीं सकते, उसे आप वसीयत में नहीं पा सकते। खुशी कोई दवा के रूप में नहीं आ सकती, खुशी को आप ताला लगाकर नहीं रख सकते, खुशी आपको शिकायत से नहीं मिल सकती। खुशी आप खुद पैदा कर सकते हैं। खुशी को आप आज और अभी जी सकते हैं। आप कहीं भी खुश रह सकते हैं बशर्ते आप खुश रहना चाहें।

पूरी खुशी या आधी खुशी जैसी कोई चीज नहीं होती। खुशी सिर्फ खुशी होती है। यदि आप सोचते हैं कि अमुक चीज हासिल होगी तो मैं खुश रहूंगा तो आप जिंदगी भर असंतुष्ट रहिएगा।

आप स्वस्थ हैं, आपके पास घर है, हँसने बोलने के लिये परिवार है, रोजी-रोटी कमाने के लिये हुनर है, साथ देने के लिये दोस्त है, क्या ये सब खुश रहने का कारण नहीं है? सब कुछ आप छोड़ दें। आप आज तक जिंदा हैं, यह खुशी का कारण नहीं है!

प्रैक्टिकल बनिये और इस सच को स्वीकार करें कि इस दुनियां में कोई भी शत-प्रतिशत खुश नहीं हो सकता। इसलिए हर क्षण को डट कर जियो, जमकर जियो, खुशी से जियो और अपने आसपास के लोगों को प्रसन्न करते हुए जियो।

 

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PIC SOURCE-YOURQUOTE.COM

टीम- “कोसी की आस” ..©

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