बीते शुक्रवार वित्त मंत्री अरूण जेटली की गैरमौजूदगी में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयुष गोयल ने मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया। चूँकि ये चुनावी साल है लिहाज़ा इस बार पूर्ण नहीं बल्कि अंतरिम बजट पेश किया गया है। मोदी सरकार के इस बजट से जैसी उम्मीदें थी, बजट में वित्त मंत्री ने उन उम्मीदों को पूरा करने का प्रयास किया है। चुनाव से ठीक पहले पेश हुए इस बजट में मोदी सरकार ने अपने हिसाब से मास्टर स्ट्रोक खेलने का पूरा प्रयास किया है। किसानों, महिलाओं, सैलरी क्लास, मजदूरों सभी को इस बजट ने सौगात दी है। जहाँ इस बजट में किसानों को बड़ी राहत देते हुए “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना” की सौगात दी गई है, तो वहीं महिलाओं के लिए भी कई लुभावनी घोषणाएं हुई, अगर सबसे ज्यादा राहत किसी को मिली तो वो है सैलरी क्लास के ऐसे तबके जिनकी वार्षिक आय 5 लाख तक है, क्योंकि इस अंतरिम बजट में टैक्स छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है। हालांकि घोषणा उपरांत एक बड़ा तबका ग़लतफ़हमी में थोड़े देर के लिए खुश हो गया था किन्तु कुछ वक्त बाद स्पष्ट हो गया कि 5 लाख से 1 रू अधिक आय वाले पर पुराना आयकर स्लैब ही जारी रहेगा।
अंतरिम बजट पेश हो चुका है लेकिन लोगों के मन में अंतरिम बजट (Interim Budget) और यूनियन बजट (Union Budget) को लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अंतरिम बजट क्या होता है, क्या बजट और अंतरिम बजट में कोई अंतर होता है?
आइये जानते हैं, अंतरिम बजट क्या है? (Meaning of Interim Budget)
संविधान के अनुसार केन्द्र सरकार पूरे वित्तीय वर्ष (Financial Year) के अलावा भी आंशिक समय के लिए बजट संसद में पेश करती है, इसमें कुछ महीनों या फिर कुछ दिनों के राजस्व का लेखा-जोखा तय होता है। उसे ही अंतरिम बजट या फिर वोट ऑन अकाउंट (Vote On Account) की संज्ञा दी जाती है। इसे मिनी बजट भी कहा जाता है।
कब पेश होता है अंतरिम बजट?
अंतरिम बजट चुनावी साल में पेश होता है यानि जिस साल लोकसभा चुनाव होने हो उसी साल अंतरिम बजट पेश किया जाता है। यह केवल नई सरकार बनने तक के राजस्व का लेखा-जोखा होता है। यह केवल वित्तीय वर्ष के शुरूआती 4 महीनों का बजट होता है। इसलिए इसे अंतरिम बजट कहा जा रहा है। दरअसल यह इसलिए पेश किया जाता है कि नई सरकार के काम करने के तरीके / योजनाएँ अलग हो सकते हैं। आय-व्यय के बारे में आने वाली सरकार खुद तय करे।
आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर :-
1॰ आम बजट पूरे वित्तीय वर्ष के राजस्व का लेखा-जोखा होता है तो वही अंतरिम बजट एक सीमित अवधि के लिए पेश होता है।
2॰ आम बजट प्रति वर्ष 1 फरवरी को पेश होता है जबकि अंतरिम बजट केवल चुनावी वर्ष में ही पेश होता है वो भी केवल सीमित अवधि तक के लिए।
3॰ यूनियन बजट का आर्थिक सर्वेक्षण होता है जबकि अंतरिम बजट पेश होने के बाद कोई आर्थिक सर्वेक्षण नहीं होता।
4॰ आम बजट (Budget) या यूनियन बजट (Union Budget) में बड़े खर्चों को शामिल किया जाता है जबकि अंतरिम बजट में बड़े खर्च का प्रावधान नहीं है।
विभिन्न नजरिए से यूनियन बजट (Union Budget) की ख़ास बातें:-
आम लोगों के लिए—–
* आयकर रहित ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये।
* पीएफ वालों को मिलेगा 7000 का बोनस।
* दूसरे घर से मिलने वाले अनुमानित किराये पर अब टेक्स नहीं देना पड़ेगा।
* स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40000 से बढ़ाकर 50000 ।
* एफडी के ब्याज पर 10000 से बढ़ाकर 40000 तक टैक्स छुट।
* अगले 5 वर्ष में एक लाख से ज्यादा डिजिटल गांव बनेंगे।
महिलाओं के लिए——
* महिलाओं के लिए 26 हफ्ते के मातृत्व अवकाश की शुरुआत की।
* आंगनबाड़ी व आशा योजना के मानदेय में 50% की बढ़ोतरी।
* उज्जवला योजना में और 2 करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन मिलेंगे। अभी तक 6 करोड़ मिल चुके हैं।
पेंशन योजना संबंधित—
* असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 3000 मासिक पेंशन।
* सरकारी कर्मचारी के लिए सरल होगी न्यू पेंशन स्कीम।
* 15 हजार से कम वेतन पर 1000 की स्थायी पेंशन ।
* 500 करोड़ से “प्रधानमंत्री मानव पेंशन योजना”। इस योजना से 10 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा।
किसानों के लिए——-
* दो-दो हजार की तीन किस्तों में छोटे किसानों को 6000 की सालाना मदद।
* 12 करोड़ किसानों को आर्थिक मदद योजना से लाभ होगा।
* पशुपालक किसानों को भी लोन पर ब्याज में 2 % की छूट।
* गाय के लिए 750 करोड़ का फंड दिया गया।
आर्थिक सुधार——
* जी एस टी का टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12 लाख करोड़ हुआ।
* टैक्स देने वालों की संख्या 80% तक बढ़ी।
* 99.54% आयकर रिटर्न ऑनलाइन स्वीकार किये गए।
* जी एस टी में कटौती से छोटे कारोबारियों को 80 हजार करोड़ की राहत।
* जनवरी में जी एस टी कलेक्शन 1 लाख करोड़ से ऊपर पहुंचा।
* सरकारी घाटा जीडीपी का 3.4% रहा।
* रक्षा बजट पहली बार 3 लाख करोड़ के पार।
* महंगाई दर 10% से घटकर 4.5% पर आई।
(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।)
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