स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@पटना
कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है। एक अदृश्य विषाणु सम्पूर्ण विश्व को बंधक बना लिया है। कोरोना के सामने हमारी सारी वैज्ञानिक उपलब्धियां नाकाफी साबित हो रही है। इस महामारी ने मानव जाति के सामने एक गंभीर संकट पैदा कर दी है। पूरे संसार में हाहाकार मचा है। आमजन बेहद चिंतित एवं भविष्य के प्रति आशंकित है। इस महामारी ने देश एवं आम लोगों को आर्थिक रूप से पंगु बना दिया है। विश्व के लगभग 188 देश इस महामारी के गिरफ्त में आ चुके हैं। ऐसे में भारत जैसे अत्यंत निम्न स्वास्थ्य सुविधा वाले देश में जहाँ की विशाल आबादी पहले से ही मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। कोरोना जैसी महामारी किसी कहर से कम न साबित होगी।
चीन, ईरान, इटली एवं अमेरिका जैसे देशों से होते हुए यह वैश्विक महामारी भारत में प्रवेश कर चुकी है और इसका असर भी दिखने लगा है। लोगों में अफरातफरी एवं आतंक का माहौल है। सरकार के लाख कोशिशों के बाद भी यह रोग दिन-व-दिन पांव पसार रही है। कोरोना ग्रस्त लोगों का आंकड़ा आज 500 के पार पहुंच चुका है। जबकि सरकार पूर्व से ही सतर्कता बरतते हुए, पहले अंतराष्ट्रीय हवाई यात्रा पर रोक लगाई पुनः जनता कर्फ्यू और अब 21 दिन का पूर्ण लॉक डाउन एवं कर्फ्यू लगाई जा रही है।
स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जांच केन्द्रों को आपात स्थिति से निपटने के लिए किया जा रहा तैयार
सबसे बड़ी परेशानी भारत जैसे सघन जनसंख्या वाले देश के लोगों को कैसे क्वारेंटाईन एवं आइसोलेशन में रखा जाय। लाख अनुरोधों एवं पाबंदियों के बाद भी लोग मान नहीं रहे हैं। सबसे बड़ा खतरा ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के लिए है, जहाँ पाबंदी लगाना असंभव है। जागरूकता के अभाव में ग्रामीण लोग इसकी गंभीरता को समझ पाने में असफल है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रवासी मजदूरों का शहरों से पलायन है। इसमें प्रवासी बिहारी मजदूरों का जो हुजूम ट्रेंनो एवं बसों में भरकर मुम्बई एवं पूणे से आएं हैं, उनकी जांच करवाना बिहार सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
यदि बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था एवं सुविधाओं की बात की जाए तो यह भगवान भरोसे है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बिहार में 28,391 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि देश में यह औसत 11,082 आबादी पर एक डॉक्टर की है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों प्रति एक हजार व्यक्ति एक डॉक्टर के अनुपात से बेहद कम है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में जहां केरल, पंजाब और महाराष्ट्र शीर्ष राज्य है, वहीं बिहार एवं उत्तर प्रदेश इसमें निम्न पायदान पर है। बिहार में भी कोरोना को लेकर लोगों में भय एवं आतंक का माहौल है। इससे निपटने के संदर्भ में बिहार सरकार की तैयारी का आलम यह है कि जांच में लगे अपने डॉक्टरों को सरकार ठीक से मास्क एवं अन्य जरूरी सामान अभी तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। और आमजन भी इन सभी बातों से अवगत है।
भारत की वैश्विक महामारी के खतरों एवं संक्रामक रोगों से निपटने की तैयारी को लेकर वैश्विक स्तर पर किये गए सर्वे अनुसार 195 देशों में भारत को 57वां स्थान दिया गया। जबकि शीर्ष देशों की सूची में अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और इटली जैसे देशों को रखा गया। अब जबकि इस महामारी को लेकर शीर्ष देशों की स्थिति सर्वज्ञात है। ऐसे में भारत के संदर्भ में सोचकर ही डर लगता है। अतः सावधानी, सतर्कता एवं स्वछता को ही अपना कर कोरोना जैसी महामारी से बचाया जा सकता है। कोरोना एक अत्यंत कमजोर विषाणु है लेकिन इसकी संक्रमण की तीव्र रफ्तार इसे प्रलयकारी बनाती है। इसलिए सामाजिक दूरी को अपनाकर ही कोरोना की कमजोर कड़ी को ध्वस्त किया जा सकता है।
उपरोक्त लेख कोशी की आस टीम को भारत सरकार के रेल मंत्रालय में कार्यरत प्रतापगंज, सुपौल के “विजेंद्र जी” ने भेजा है।
(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है।)