विशेषज्ञों का कहना है कि करीब दो दशक पहले ही बाजारवाद के विरोध का समय बीत चुका है और यदि अब भी आप बाजारवाद का विरोध कर रहे हैं तो आप सिर्फ अपना खून जला रहे हैं। दुनियां की सारी सरकारें बाज़ारवाद के गिरफ्त में आ चुकी है और अब कमोबेश स्थिति यह है कि सरकार वही करेगी जो बाज़ार के अनुकूल हो और बाज़ार वही करेगा, जिससे उसकी (बाज़ार) स्वार्थ (मुनाफा) सिद्धि हो सके।
हम बात कर रहे हैं अभी-अभी भारतीय सरकार के ताजा फैसले के अनुरूप भारतीय रेल से अनुबंध के तहत प्रथम पूर्णतः प्राइवेट ट्रेन #तेजस जो “लखनऊ से दिल्ली” के लिये प्रारंभ किया गया है, अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस #तेजस के साथ यात्रियों के हित में एक शर्त रखा गया है कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को घंटे के हिसाब से पैसे वापस होंगे, #तेजस के किराए की बात करें तो उक्त निर्धारित दूरी का किराया जहाँ औसतन 900रु है वहीं #तेजस का किराया 1600रु है। किराया ज्यादा होना, अहम नहीं है बल्कि एक लोककल्याणकारी गणराज्य में आम जनमानस के दैनिक यात्रा का सबसे बड़े साधन को जिस चरणबद्ध तरीके से बाज़ार के हवाले करने का प्रयास किया जा रहा है, वो बहुत चिंतनीय है।
मैं समझता हूँ कि भारतीय रेल की यात्री ट्रेन यदि घाटे में चल रही है तो परोक्ष रूप से जनता पर भार डालने से बेहतर होता कि सीधे-सीधे किराया बढ़ाया जाता। यहाँ हम परोक्ष रूप से दबाब इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आप ग़ौर करें तो मोदी जी के पिछले कार्यकाल में 2-3 बार अच्छी-खासी किराए में बढ़ोतरी की गई, ये तो सीधे बढ़ोतरी थी, लेकिन आरक्षण की अवधि 4 माह पूर्व किया जाना, तत्काल के बाद प्रीमियम तत्काल किया जाना औऱ निरस्तीकरण के शुल्क में भारी बढ़ोतरी एक लोककल्याणकारी गणराज्य में बनिये (जिसका एक मात्र उद्देश्य लाभ कामना, कृपया यहाँ बनिये किसी खास वर्ग को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया है, महज़ संकेत मात्र है) की सरकार प्रतीत हो रही है। सरकार में बैठे लोगों से औऱ आप सभी से मेरा सीधा सवाल है कि वर्तमान समय में कितने प्रतिशत लोग हैं, जो अपने यात्रा का कार्यक्रम 4 माह पूर्व निर्धारित करते हों और उसमें परिवर्तन न हो, तो इसप्रकार बुकिंग, कैंसिल, तत्काल, प्रीमियम तत्काल और अब नया #तेजसअवतार।
कई विश्लेषकों का तो यहाँ तक कहना है कि यात्रा पूर्व की भांति थकाऊ न होकर मनोरंजन और विलासिता से युक्त होना चाहिए, तो मेरा उन महान विश्लेषकों से कहना है कि आप जैसों के लिये पूर्व से ही हवाई यात्रा की व्यवस्था है, यहाँ मेरा मतलब यह नहीं कि सामान्य या गरीबों की यात्रा थकाऊ ही हो बल्कि हम भारतीय रेल, जो आमजन के यात्रा का सबसे सुलभ साधन है, को
DD, BSNL, Air India और Indian Air Lines की तरह बर्बाद होते नहीं देखना चाहते हैं। मेरे समझ से भारतीय रेल में आवश्यक सुधार करते हुए संचालन संबंधित सारे अधिकार का नियंत्रण सरकार के हाथ में हो और यदि आप उसे चलाने में असमर्थ हैं और किसी निजी कंपनी के हाथ यह दायित्व सौंप रहे हैं, तो यह आपकी अक्षमता है।
यात्रियों के हित में अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस #तेजस के शर्त कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को घंटे के हिसाब से पैसे वापस होंगे, इसका अर्थ है कि #तेजस के लेट होने की संभावना कम है, तो कुछ सवाल जो हमारे मन मस्तिष्क में अनसुलझे हैं, उसके ज़बाब हमें भी चाहिए यदि उत्तर मिले तो अवश्य बताएंगे…..
- क्या #तेजस के लिए अलग पटरी लगाई गई है?
- क्या #तेजस के लिए अलग से सिग्नल और सिस्टम तैयार किया गया है?
- यदि #तेजस समय से चल सकती है, तो भारतीय रेल की अन्य ट्रेनें क्यों नहीं???
यदि नहीं, तो #तेजस सरकार द्वारा संचालित सरकारी रेल की कीमत पर अपने समय से चलेगी, तो समझ लीजिए भारतीय रेल के सरकार द्वारा संचालित ट्रेन को धीरे-धीरे बदनाम कर पूर्णतः #निजीकरण की साजिश की जा रही है। #निजीकरण समाधान नहीं है बल्कि उनके हित लोककल्याणकारी न होकर लाभआधारित हो जायेगा।
(यह लेखक के निजीविचार है।)