सुप्रीम कोर्ट में नेताओं को मिलने वाले पेंशन के खिलाफ याचिका दायर
जहाँ एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने 01.01.2004 से कर्मचारिओं / अधिकारियों को मिलने वाले पेंशन को बंद कर NPS (न्यू पेंशन स्कीम) या अंशदायी पेंशन योजना लागू किया, वहीं नेताओं को इस NPS (न्यू पेंशन स्कीम) या अंशदायी पेंशन योजना से बाहर रखा गया। साथ ही गौर करने वाली बात यह है कि जहाँ आमतौर पर लगभग 30-35 वर्षों तक विभिन्न सरकारी विभाग में सेवा देने के बाद भी कर्मचारिओं / अधिकारियों को पूर्व में जारी पेंशन योजना OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) के लाभ के लिए अयोग्य समझा गया, वहीं नेताओं के मामले में उसी संसद की राय अलग है, और-तो-और अगर कोई व्यक्ति पहले पार्षद रहा हो, फिर विधायक और फिर सांसद बन जाए तो उसे एक नहीं, बल्कि तीन-तीन पेंशनें मिलती हैं।
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकार के कर्मचारी और अधिकारी यूनियनों द्वारा कई मंचों से ज़ोर-शोर से NPS (न्यू पेंशन स्कीम) का (विसंगति के कारण) विरोध किया जा रहा है तथा OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) की माँग पुरजोर तरीके से की जा रही है। NPS (न्यू पेंशन स्कीम) के बदले फिर से OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) की माँग करने वाले संगठन के नेताओं से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि NPS (न्यू पेंशन स्कीम) के द्वारा कर्मचारिओं / अधिकारियों के हित से खिलवार किया जा रहा है। आज जो आपके खाते में पैसे दिख रहे हैं वो भर्चुअल (काल्पनिक) है, सारा शेयर बाजार पर निर्भर करेगा और विभिन्न वजहों से कर्मचारिओं / अधिकारियों के भविष्य को नुकसान पहूँचाया जा रहा है। “कोसी की आस” टीम के साथ नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर संगठन (कर्मचारिओं / अधिकारियों) के नेताओं कहा कि यदि यह स्कीम (NPS) इतनी ही अच्छी है तो महज़ 5 वर्ष विधायक / सांसद / मंत्री आदि को OPS और लगभग 30-35 वर्षों तक सेवा देने वाले कर्मचारिओं / अधिकारियों NPS क्यों दिया जाता है।
इन्हीं विसंगति और नेताओं को अलग-अलग 3-4 पद (जैसे विधायक / सांसद / मंत्री आदि) पर रहने पर मिलने वाले 3-4 पेंशन को चुनौती देने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर हुई है। संगठन (कर्मचारिओं / अधिकारियों) के नेताओं ने कहा कि इस जनहित याचिका से हमसभी कर्मचारिओं / अधिकारियों को बहुत उम्मीद है कि माननीय उच्चतम न्यायालय में न्याय मिलेगा।
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