गूगल की लाखों रुपए की पैकेज वाले नौकरी छोड़, पर्यावरणविद बने अरुण कृष्णनमूर्ति की कहानी।

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आज दुनिया के कई बड़े शहर और क्षेत्र भयंकर जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह विशाल जनसंख्या द्वारा पानी की बर्बादी करना है। भू-जल और जल के विभिन्न स्रोतों का हमलोगों ने इस कदर दोहन किया है और इसे हम इतनी बुरी स्थिति में लाकर छोड़ दिये हैं, जिसका नतीजा है कि आज हम बूंद-बूंद पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। हालत इतनी खराब हो गई है कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में कई सारे संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को कह दिया है, हॉस्टल चलाने वालों ने वहाँ रहने वालों को अपने-अपने घर चले जाने को यह कहते हुये कहा है कि हम आपको पानी उपलब्ध नहीं करा पाएंगे, जब स्थितियाँ सामान्य हो जाएगी, तो हम बता देंगे, यह सब इसलिए किया जा रहा है कि पानी का इस्तेमाल कम हो सके। यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि यह सिर्फ चेन्नई की स्थिति नहीं बल्कि भारत के कई हिस्से धीरे-धीरे इसके शिकार होते जा रहे हैं और महाराष्ट्र के अधिकांश क्षेत्र इसका नवीन उदाहरण है।

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विगत कई वर्षों से देश के कई हिस्सों में मॉनसून के देर से आने या सूखे की वजह से पानी की किल्लत होती रही है। जल संकट की एक बड़ी वजह तालाबों और झीलों का नष्ट हो जाना भी है। अभी जो स्थिति महाराष्ट्र और तमिलनाडु की है, अगर हमलोगों ने जल्द कोई उपाय नहीं किया तो इस समस्या पूरे भारत में विकराल रूप धारण करने में देर नहीं लगेगी। यूँ तो कागजों पर जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में कई संस्थान लगे हुए हैं, उसमें से कई सचमुच में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। चेन्नई की विधि चूर गाँव में जन्मे अरुण कृष्णनमूर्ति बहुत ही दिलचस्प कहानी को कोसी की आस” टीम अपने प्रेरक कहानी शृंखला की 23वीं कड़ी में आप सबके के सामने प्रस्तुत करने जा रही है।

चेन्नई की विधि चूर गाँव में जन्मे अरुण कृष्णनमूर्ति का बचपन ही पर्यावरण से जुड़ा रहा है, जल और वन संरक्षण में बचपन से रुचि थी। इसी वजह से महज़ 32 वर्ष की उम्र में गूगल की लाखों रुपए की पैकेज वाले नौकरी छोड़कर देश के झीलों और तालाबों को साफ करने और इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के अभियान में जुट गए और अब इसे ही अपना शौक और कैरियर बना लिया। कृष्णनमूर्ति अब तक सात राज्यों के करीब 48 तालाबों और 39 झीलों को साफ करा चुके हैं या फिर यूँ कहें कि पुनरुद्धार करा चुके हैं।

चेन्नई में रहने वाले अरुण कृष्णनमूर्ति ने गूगल की नौकरी छोड़ 2007 में इनवायरमेंट फाउंडेशन इंडिया (EFI) की स्थापना की और तब से इस पर्यावरणविद ने अपने संगठन के बैनर तले ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुदुचेरी, और गुजरात में जल संरक्षण की दिशा में लगातार कार्य कर रहे हैं और आज इसी का परिणाम है कि उनकी गिनती भारत के नामी पर्यावरणविदों में की जाती है।

Arun Krishnamurthy, pictured during the clean-up of Lake Kilkattalai, is determined that India’s urban lakes will not disappear through neglect. Chennai, India, 2012

वैज्ञानिक दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए, श्री कृष्णनमूर्ति बताते हैं कि “भूजल स्तर को बढ़ाने और उसमें गंदगी को हटाने के लिए झीलों से कचरा, आक्रामक वनस्पतियों (जिसमें कांटेदार झाड़ियां और जलकुंभी शामिल) को बाहर करना बेहद आवश्यक है।” दिलचस्प बात है कि जल संरक्षण के लिए श्री कृष्णनमूर्ति आम लोगों द्वारा मिलने वाले पैसे पर ही निर्भर हैं। हालांकि अब वे सरकार और कई अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

श्री कृष्णनमूर्ति आगे बताते हैं कि झिलों और तालाबों को साफ करने के पीछे उनका उद्देश्य केवल पानी नहीं बल्कि उस पर निर्भर रहने वाले जीव-जन्तु को भी संरक्षित करना है। वृंदावन के आसपास ऐसे पौधे लगे हैं जिससे पक्षियों और दूसरे जीव जंतु को भी लाभ मिलता है। श्री कृष्णनमूर्ति के इस बेहतरीन और सराहनीय कार्य के लिए वर्ष 2012 में रोलेक्स अवॉर्ड फॉर इंटरप्राइजेज के चमत्कारी पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैं।

श्री कृष्णनमूर्ति ने भारत के जलाशयों के बारे में यूट्यूब पर Hydrostan नाम से एक सीरीज भी बनाई है। सीरीज बनाने के उद्देश्य के बारे में श्री अरुण बताते हैं कि  मैं कई झीलों और तालाबों के आसपास बड़ा हुआ हूँ, तब उनकी स्थिति आज से कहीं बेहतर होती थी। मैं उनके शोषण का गवाह हूँ। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इसे हमें ही सुधारना होगा।

Pic Source- Google Image

(यह अरुण कृष्णनमूर्ति से की गई बातचीत पर आधारित है।)

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टीम- “कोसी की आस” ..©

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