मुज़फ़्फ़रपुर : एक तरफ जब चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के मामले में सरकार की व्यवस्था की पोल खुल गई। एक तरफ सरकार को न सिर्फ विपक्षी पार्टियों के विरोध बल्कि आम आदमी के आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, वहीं इस पक्ष-विपक्ष से दूर मानव सेवा को अपना धर्म समझने वाले, कई स्वयंसेवी संगठन आम पीड़ित जनमानस की मदद को सामने आए हैं।
उसी कड़ी में रविवार को पटना की स्वयंसेवी संस्था “शिक्षा तरु” और सहरसा की स्वयंसेवी संस्था “रोटी बैंक” के संयुक्त तत्वाधान में मुज़फ़्फ़रपुर के लगभग 8 गाँव में एन्सेफलाइटिस (चमकी बुखार) के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया और गरीब और मलिन-बस्तियों के नौनिहालों के बीच ग्लूकोज, ओ॰आर॰एस॰, साबुन, गंजी, चप्पल आदि जीवनोपयोगी संसाधनों का वितरण किया गया।
एक तरफ जहाँ “रोटी बैंक” सहरसा की काफी लोकप्रिय संस्था है, जो असहाय और गरीबों के बीच मुफ्त भोजन वितरण का कार्य करती है, वहीं “शिक्षा तरु” गाँव-गाँव जाकर गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराती है।
दोनों स्वयंसेवी संगठन “शिक्षा तरु” और “रोटी बैंक” जहाँ अपने-अपने क्षेत्र में अपने अलग कार्य के लिए चर्चित हैं, लेकिन जैसा कि दोनों संगठन ने कार्य कर दिखाया कि मानव सेवा उनके लिए सर्वोपरि सेवा है। इस संयुक्त मुहिम में “शिक्षा तरु” की ओर से वरिष्ठ सदस्य बी.के. उप्पल, सुमित कुमार और “रोटी बैंक” की ओर रौशन कुमार, अजय कुमार और पंकज कुमार ने बढ़-चढ़ कर शिरकत किया।
एक ख़ास बात बताना चाहूँगा कि दोनों संगठन किसी बड़े उदद्योगपतियों या रसूकदार व्यक्तियों के बजाय कुछ सामान्य परिवार से आने वाले युवाओं के द्वारा चलाया जा रहा है तथा इनके आय का एकमात्र साधन लोगों के द्वारा दिया गया स्वैच्छिक दान है। इन दोनों संगठन के कार्य बताते हैं कि जहाँ आज के युवाओं में मानव सेवा का भाव जीवित है, वहीं समाज भी, समाज के इस बेहतर सोच को हाथो-हाथ ले, मदद करने में पीछे नहीं रहती है।