थोड़े क्रिकेटर, थोड़े एक्टर, थोड़े सिंगर और थोड़े स्टूडेंट के बजाय कोई एक लक्ष्य तय कर प्रयास करें।

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स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@नई दिल्ली

इंसान जन्म के बाद जैसे-जैसे अपनी बाल्यावस्था से युवापन की ओर बढ़ने लगता है, अमूमन उसी दौरान मनुष्य की चेतना से आवाज आने लगती है और वह अपने जीवन में कुछ बनने या फिर अपने जीवन के लक्ष्य को तय करने लगता है। फिर चाहे वह छात्र जो नौकरी की तैयारी कर रहा हो, वो युवा जो आगे चलकर एक सफल बिज़नेसमेन बनना चाहता हो या कोई स्टूडेंट्स यूनियन का नेता जो भविष्य में अपने आप को एक नेता के रूप में देखना चाहता है या फिर यहाँ तक कि कोई चोर ही क्यों ना हो वह भी अपनी चोरी के लिए कोई लक्ष्य तय करता है और अपनी योजना बनाता है। ये सभी अपने-अपने जीवन के लक्ष्य, Motive, Purpose को तय करते हैं।

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लक्ष्य जिसे हम/आप Goal या टारगेट कहते हैं, बनाना बहुत आसान है लेकिन उसे पाना या लक्ष्य तक पहुँचना उतना आसान नहीं है। जितनी आसानी से हमने अपने मन में तय कर लिया कि मुझे आगे चलकर यह करना है, मुझे वो बनना है, वगेरह-वगेरह।

सबसे बड़ी बात है कि हम जो भी लक्ष्य तय करते हैं, हमें अपने लक्ष्य पर अडिग रहना होगा तभी जाकर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उसके लिए हमें योजनाबद्ध तरीके से एवं काफी शिद्दत के साथ काम करना पड़ेगा, तब जाकर हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति होगी। इस दुनिया में जितने भी महान आदमी हुए हैं चाहे वो वैज्ञानिक रहे हों (आइंस्टीन, न्यूटन, एडीसन) या फिर खिलाड़ी (तेंदुलकर, ध्यानचंद, मैराडोना) हों, उन्होंने दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा। सीधी सी बात है कि इन महान इंसान के लिए भी प्रकृति ने 24 घंटे से अधिक का समय नियत नहीं किया था। उनके पास भी उतना ही समय था, जितना हमारे पास है।

हमने शुरूआत में कहा था “लक्ष्य पाना आसान नहीं है” जी हाँ, इसका सबसे बड़ा कारण है ‘भटकाव (Distraction)’।आपको तय करना होगा कि आखिर वह कौन सी चीज है जो आपको अपने लक्ष्य दूर कर रहा है। वैसे आज के आधुनिक युग में, या यूँ कहें कि इस डिजिटल युग में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, टि्वटर, वाइन सारा दिन आप सोशल साइट पर समय व्यतीत कर सकते हैं और नहीं तो, गूगल न्यूज़ हैं न। आज के हमारे युवा दोस्त थोड़े क्रिकेटर, थोड़े एक्टर, थोड़े सिंगर और थोड़े स्टूडेंट, सब कुछ थोड़े-थोड़े बनना चाहते हैं। फिर तो मुश्किल है कि आप अपने लक्ष्य को, अपने टारगेट को प्राप्त कर सकें। तेंदुलकर आज तेंदुलकर सिर्फ इस वजह से है क्योंकि उन्होंने क्रिकेट के अलावा और किसी दूसरे खेल के बारे में नहीं सोचा होगा या ध्यानचंद ने कभी हॉकी के अलावा क्रिकेट के बारे में नहीं सोचा होगा।

सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें यह देखना पड़ेगा, सोचना पड़ेगा कि आखिर हम किस दिशा में जा रहे हैं। जिस दिन हमने ये समझ लिया कि हमें किन चीजों से दूर रहना चाहिए या फिर हमारी भटकाव की वजह क्या है? समझ लीजिए उसी दिन आपने अपने तय किये लक्ष्य का आधा हिस्सा प्राप्त कर लिया।

उपर्युक्त संदर्भ को एक प्रसिद्ध कहानी के माध्यम से बताना चाहूँगा। प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात से एक बार एक परेशान युवक ने पूछा कि मैं जीवन में कामयाब होना चाहता हूँ, आइये जानते हैं, सुकरात ने क्या कहा :-

एक दिन सुबह-सुबह सुकरात नदी में स्नान कर रहे थे, तभी नदी के दूसरे सिरे से एक व्यक्ति ने जोर की आवाज लगाई और कहा सर आप तो इतने बड़े विद्वान है, गुरु भाई हैं “मैं जीवन में कामयाब होना चाहता हूँ”, मैं अपने लक्ष्य को लेकर काफी परेशान हूँ, मैं तय नहीं कर पा रहा हूँ कि क्या करूँ, क्या ना करूँ? सुकरात ने उस व्यक्ति को अपनी और आने को कहा। सुकरात जहाँ स्नान कर रहा था, वहाँ पानी काफी था और नदी का तेज बहाव था। जैसे ही वह आदमी सुकरात के पास पहुँचा, सुकरात ने उसके कंधे पर हाथ रखा और झटके से नदी की तेज धारा वाली पानी में डुबो दिया और जोर से दबाए रखा। वह आदमी पानी में छटपटा रहा था। सुकरात उस आदमी से ज्यादा बलशाली था। आखिकार वह आदमी पूरी दम लगाकर पानी के बाहर निकाला और लंबी/गहरी सांस ली, जैसे बिन पानी मछली को फिर से पानी मिला हो। ठीक उसी तरह। सुकरात ने पूछा कि जब तुम पानी के अंदर थे तो तुम्हें किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत थी। नौजवान ने बोला सर जिंदगी और मौत का सवाल था। मेरा सारा मेंटल और फिजिकल पावर एक ही तरफ कंसंट्रेट था कि मैं पानी से कैसे बाहर आऊँ और सांस (ऑक्सीजन) ले सकूँ। सुकरात ने मुस्कुराते हुए बोला कि यही तुम्हारे सवाल “जीवन में कामयाब कैसे बन सकता हूँ” का जबाब है।

सुकरात ने इस तरीके से यह बताया कि लक्ष्य पाने या जीवन में आप जो भी बनना चाहते हो उसे पाने के प्रति आपका Motive क्या है? Aim क्या है? और आप उसे किस इंटेंसिटी से या फिर कितनी शिद्दत से चाह रहे हो, इस पर निर्भर करेगा अर्थात कहानी में व्यक्ति ने जिंदा रहने के लिए जिस इंटेंसिटी से प्रयास किया उसी तरह कामयाबी पाने के लिए आपको भी उसी इंटेंसिटी से प्रयास करना होगा। आप अवश्य सफल होंगे और सफलता आपके कदम चूमेंगी।

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