मनोहर पर्रिकर : एक अद्भुत शख़्सियत

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मनोहर पर्रिकर का जन्म 1955 में गोवा के मापुसा गाँव में हुआ था। उन्होंने “लोयोला हाई स्कूल” से शुरुआती शिक्षा हासिल की थी। वर्ष 1978 में उन्होंने “आईआईटी मुंबई” से इंजीनियरिंग में स्नातक किया। मनोहर पर्रिकर के निधन से पूरा देश गमहीन है। मनोहर पर्रिकर का 63 वर्ष की आयु में रविवार शाम निधन हो गया।  पर्रिकर पिछले एक साल से अग्नाशय के कैंसर से पीड़ित थे।  उनका इलाज अमरीका के साथ-साथ नई दिल्ली स्थित एम्स और मुंबई के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। वो आईआईटी से पास पहले भारतीय इंजीनियर थे, जो किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री बने।

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मनोहर पर्रिकर अपने आप को अपने नाम के अनुसार ही ढाल लिए थे। “मन को हरनेवाला” अर्थात ‘मनोहर’ , न केवल गोवा की जनता में बल्कि करोड़ों भारतीय के दिलों में अपनी एक अलग पहचान बनाए थे।

वो शायद बीजेपी के पहले ऐसे राजनेता होंगे जिन्होंने ख़ुद को ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’  के रूप में आगे रखते हुए, सभी समुदायों को शांति का संदेश दिया वो भी ऐसे माहौल में जब उनकी पार्टी देश के दूसरे हिस्सों में हिंदुत्व पर आक्रामक रूप अपनाए हुई थी। उन्होंने राज्य (गोवा) में धर्मनिरपेक्षता, उदार प्रकृति और अपनी विचारधारा से अधिक इस क्षेत्र के लिए पुनर्निर्माण की राजनीति की। उन्होंने ऐसे वक्त में, जब लोगों का राजनीति पर से भरोसा उठता जा रहा था, अपनी व्यक्तिगत हैसियत से आदर्श पेश कर लोगों में भरोसा जगाया।  बीजेपी में जो भी विवादों से घिरीं आवाज़ें थी, उन्हें पर्रिकर ने गोवा की सीमाओं से परे ही रखा।  उनकी खुद की छवि धुर-दक्षिणपंथी के बजाय मध्यमार्गी राजनेता की रही।

मनोहर पर्रिकर को उनके सादगी भरी जीवन के लिए भी याद किया जाएगा। वे कभी भी खुद को हाई प्रोफ़ाइल दिखाने की कोशिश नहीं किये। खासकर मनोहर पर्रिकर अपने ड्रेस कोड हवाई चप्पल और हाफ शर्ट और भाव भंगिमा को लेकर भी लोगों के बीच अक्सर चर्चा में रहते थे। कभी साइकल से चलना, तो कभी पार्टी में कतार में लगकर खाना खाना, हवाई यात्रा में इग्ज़िक्यटिव क्लास की बजाय इकॉनमी क्लास में जाना, साथ ही स्कूटर से चलना आदि उनकी पहचान एक आम आदमी की तरह थी। एक रोचक जानकारी उनके बारे में है :- एक बार वो किसी पार्टी में गये थे, अपने स्वभाव के मुताबिक वे  हाफ शर्ट , पेंट और चप्पल पहने थे ।  दरबान ने उन्हें अंदर जाने से माना किया तो उन्होंने कहा कि वे गोवा के मुख्यमंत्री हैं, इस पर दरबान ने कहा कि मैं भी राष्ट्रपति हूँ । आप सोच सकते हैं कि कितना सादगी भरा जीवन रहा होगा इनका।

शायद मनोहर पर्रिकर की बेदाग छवि के कारण ही प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें केंद्र बुलाकर रक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी। रक्षा मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान वो बार-बार सेना के बीच में जाकर उनका मनोबल बढ़ाया करते, पाकिस्तान को उड़ी हमले का करारा जबाब सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में देना आदि उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। मनोहर पर्रिकर अपनी बेदाग छवि के कारण न सिर्फ अपनी पार्टी में बल्कि विपक्षी पार्टी में भी काफी लोकप्रिय थे। हालांकि राफेल डील में विपक्ष द्वारा बार-बार गड़बड़ी के आरोप लगते रहे लेकिन रफ़ाल से जुड़े किसी भी अनिमितता में पर्रिकर की संलिप्तता कभी साबित नहीं हुई है।

 

Pic source- Google Image

(“कोसी की आस” टीम की और से इनको शत शत नमन )

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टीम- “कोसी की आस” ..©

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