आइये जानते हैं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बारे में जिन्होंने ऐतिहासिक राम मंदिर पर फैसला सुनाया…..

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भारत में राम मंदिर पर आये इस ऐतिहासिक फैसले को आने वाले वर्षों में शायद लोग भूल जायें लेकिन वर्षों से लंबित इस मुद्दे को जिस प्रकार लगातार 40 दिनों तक फास्ट ट्रैक सुनवाई करने के बाद आखिरकार 9 नवंबर को फैसला सुनाये जाने के कारण जस्टिस रंजन गोगोई को शायद ही लोग भूल पायें।

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कांग्रेसी मुख्यमंत्री के बेटे हैं “चीफ जस्टिस रंजन गोगोई” जिन्होंने ने राममंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जी हाँ, असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई (जो कि कांग्रेसी थे)के बेटे रंजन गोगोई देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले व्यक्ति हैं। जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को असम में हुआ था।

उन्होंने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी। इसके बाद साल 2001 में बतौर जज जस्टिस गोगोई ने अपने करियर की शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट से की थी। 2010 में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में जज बने। फिर 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।

इसके बाद अक्तूबर 2018 में जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद जस्टिस गोगोई ने देश के 46वें सीजेआई के रूप में सुप्रीम कोर्ट की कमान संभाली। सीजेआई गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन 11 जजों में से एक हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है।

वैसे जस्टिस गोगोई द्वारा असम एनआरसी को लेकर भी कई सख्त कदम उठाए गए हैं। लेकिन शायद आयोध्या विवाद पर दिये गए इस ऐतिहासिक फैसले के कारण उनके कार्यकाल को सदा याद किया जाएगा।

और जाते जाते सीजेआइ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने बुधवार यानि 13 नवंबर 2019 एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर (CJI office) एक पब्लिक अथॉरिटी है जो कि पारदर्शिता कानून और सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में आता है।

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