बिहार : आंनद कुमार के शैक्षणिक बगीचे का एक और फूल आई ए एस राशिद खान।

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आनंद कुमार
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यूँ तो बिहार के महान गणितज्ञ आनंद कुमार से जुड़ी अनेकों कहानियाँ और घटनाओं में से कुछ को उन्हीं के ऊपर आधारित ऋतिक रोशन अभिनीत बायोपिक फ़िल्म Super30 के माध्यम से देश-विदेश में दर्शकों को दिखाने का प्रयास किया गया, फिर भी कई अनछुई घटनाएं अथवा कहानियाँ है, जिन्हें अब तक के शैक्षणिक अनुभव के दौरान या तो स्वयं आनंद कुमार या फिर समय के काल के शिकार छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों ने महसूस किया होगा।

आज के परिप्रेक्ष्य में आनंद कुमार का नाम विश्व पटल पर गणित के मामले में एक सितारे की तरह हो गया है, जिसे देखा जा सकता किन्तु वहाँ पहुँचना आसान नहीं। लाखों में से एक अनछुई घटना को अपने सोशल मीडिया फ़ेसबुक के माध्यम से साझा किया, जो काफी पढ़ा जा रहा है और यह जब वे अमेरिका में आयोजित गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जैसे ही पटना से दिल्ली जाने के लिये फ्लाइट में बैठे, तो लीजिए आपको भी रूबरू करा रहे हैं उसी घटना से उन्हीं के शब्दों में….

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“जिंदगी में कई ऐसी घटनायें घटतीं हैं कि यकीन नहीं होता। लगता है जैसे कोई फ़िल्म का दृश्य हो। अभी मैं अमेरिका में आयोजित गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जैसे ही पटना से दिल्ली जाने के लिये फ्लाइट में बैठा ही था कि बगल में बैठे यात्री ने कहा प्रणाम सर। मैंने भी कहा प्रणाम। तब उसने कहा कि प्लीज सर आप मुझे प्रणाम कहकर शर्मिंदा ना करे। मैं तो आपका ही स्टूडेंट हूँ, राशिद खान। भूल गये सर आप मुझे। आपने ही तो मुझे पढ़ाया था और कोई पैसा नहीं लिया था। और सर मैं कहीं पैसे देकर पढ़ भी नहीं सकता था। मेरे पिताजी फुलवारीशरीफ में दर्जी थे। तब मैं पहचान गया।

फिर उसने कहा – सर मैं अभी यूपीएससी क्वालीफाई करके आई ई एस ऑफिसर हूँ। वह आगे बताया कि उसके पढ़ लेने के बाद, उसके सभी भाई बहन भी पढ़कर बहुत अच्छा किया है। फिर उसने कहा- सर आपने न सिर्फ मुझे पढ़ाया है बल्कि आपने एक जनरेश को चेंज कर दिया है। पता है सर आपने जो मैथमेटिक्स पढ़ाया उसके बाद तो मेरे सोचने का पूरा तरीका ही बदल गया। उसके पहले मैं मैथमेटिक्स को रटता था और अब आज भी एक सवाल को मैं कई तरीकों से बना सकता हूँ। सर आपसे पढ़ने के बाद काफी लॉजिकल हो गया हूँ मैं, और जीवन के किसी भी विषय पर एकदम नए तरीके से सोचता हूँ। सच में सर आप ठीक ही कहते हैं कि निर्धानता से बाहर निकलने का सिर्फ एक मात्र रास्ता है – शिक्षा।

बातों बातों में हमलोग दिल्ली पहुँच गये थे। और राशिद ने जिद करके मेरे हैंडबैग को उठा लिया और कहा कि सर क्या आप मुझे इतना भी हक़ नहीं देंगे। जिस तरह से राशिद ने अपनी जिंदगी बदलने की कहानी सुनाई, मैंने महसूस किया कि आज मुझे दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान मिल गया है। फ्लाइट में राशिद ने जो मेरे साथ शेल्फी ली थी उसे मैँ भी पोस्ट कर रहा हूँ।”

सच में एक गुरु के लिए उसके शिष्य की सफलता से ज्यादा और क्या चाहिए और उसमें में ऐसे शिष्य जो गुरु की गुरु होने की भावना की वज़ह से ही पढ़ पाया हो। महान गणितज्ञ आनंद कुमार को कोशी की आस परिवार की ओर से अकल्पनीय स्नेह, ईश्वर आपको बरक़त दे और आप इसी तरह उजड़े बगीचे में कली खिलाते रहें।

स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@पटना

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