एक तरफ देश कोरोना वायरस की वजह लॉकडौन की स्थिति से गुजर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान करने वाली संस्था बैंकिंग सेक्टर लॉकडौन की स्थिति में भी अपनी दायित्व से पीछे नहीं हट रही है। जी हां, बैंकिंग सेक्टर में सबसे बड़ा विलय जिसकी घोषणा पिछले साल ही कि जा चुकी थी, उसको नये वित्तीय वर्ष की शुरू होते ही अमल में लाया गया जा चुका है।
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी), यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआइ), सिंडिकेट बैंक, आंध्रा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक अब इतिहास बनकर रह गए हैं। जी हां, केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में सबसे बड़े विलय का एलान करते हुए पिछले वर्ष 30 अगस्त को इन बैंकों को सरकारी क्षेत्र के चार अलग-अलग बैंकों में मिलाने का फैसला किया था जो कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में यानि पहली अप्रैल बुधवार से यह विलय लागू हो गया है।
हालांकि मौजूदा हालात में लॉकडौन की वजह से विलय की प्रक्रिया पूरी होने में कुछ समय अवश्य लगेगा। मालूम हो कि चार बैंकों में छह बैंकों के विलय के साथ ही सरकारी क्षेत्रों के बैंकों की संख्या 18 से घट कर 12 रह गई है। इससे पहले बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक व देना बैंक के विलय का फैसला किया गया था, जो पिछले वर्ष ही अमल में आ गया था। तकनीकी तौर पर बुधवार से इन बैंकों का विलय हो चुका है। लेकिन जमीनी तौर पर अभी इस प्रक्रिया के पूरा होने में कुछ समय अवश्य लगेगा।
मौजूदा हालात को देखते हुए ग्राहकों को नया चेकबुक, एटीएम कार्ड देने का काम भी अभी प्रभावित होगा। हालांकि बैंकों द्वारा मौजूदा हालात को देखते हुए ग्राहकों के पुराने एटीएम और चेकबुक पहले की तरह काम करते रहेंगे ऐसा दिशा निर्देश दिया है। धीरे धीरे जैसे जैसे शाखाएं बढ़ेगी ग्राहकों की सुविधाएं भी बढ़ाई जाएगी।