स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@रायपुर
सुबह-सुबह दैनिक भास्कर समाचार पत्र पढ़ रहा था तो नज़र अचानक से एक प्रसिद्ध और मोटिवेशनल लेखक एन रघुरामन का एक कोने में छपा “आज का फंडा” नाम के एक छोटे से कॉलम पर गया। शीर्षक था “खूबसूरती, दिखाएं या छुपाएं?” मुझे बहुत पसंद आया और प्रेरक लगा, इसलिए मैंने सोचा कि यह आप लोगों से भी साझा करूं।
मैं समझता हूँ कि एन रघुरामन द्वारा लिखा छोटा सा कॉलम, आये दिन मां-बहन-बेटियों-बहुओं को दरिंदों की दरिंदगी से बचाने में थोड़ा ही सही लेकिन असरदार जरूर साबित हो सकती है। यह कॉलम “कौन से कपड़े लड़कियों को पहननी चाहिए?” को लेकर एक बेटी और पिता के बीच हुई बातचीत या फिर यूँ कहें कि तार्किक बहस पर आधारित है। तो आइए जानते हैं, इस अनोखी बातचीत को….
एक पार्टी में बेटी को कैसे कपड़े पहन कर जाना चाहिए? पिता को समर्पण करना पड़ा क्योंकि वह कोई ठोस तर्क नहीं दे पा रहे थे, जिससे यह सिद्ध हो सके कि बेटी को सार्वजनिक जगहों पर कपड़े से शरीर ढक कर क्यों रखना चाहिए?
आखिर में पिता ने कुछ सोचा और बेटी को एक आईफोन तोहफे में दिया। बेटी को तोहफा बहुत पसंद आया और उसने पिता को थैंक यू कहा और फिर वह आईफोन के स्क्रीन गार्ड और कवर के लिए पिता से पैसे मांगने लगी। पिता ने पूछा यह सब क्यों क्यों चाहिए? बेटी ने तुरंत कहा डैडी आपको नए स्मार्टफोन के बारे में कुछ नहीं पता, मुझे अपनी मंहगे फोन में एक भी स्क्रैच नहीं चाहिए, मुझे उसे प्रोटेक्ट करके रखना है।
पिता शांत स्वर में बोले हाँ मैं फोन के बारे में ज्यादा नहीं जानता बेटा, लेकिन मैं यह जरूर जानता हूँ कि “मेरी बेटी ऐसे आईफोन से बहुत कीमती है।” यही कारण था कि मैं तुम्हें उन “सोशल स्क्रैच” से सुरक्षित रखना चाहता हूँ, इसलिए पार्टी में अच्छी ड्रेस पहनकर जाने पर जोर देता हूँ। उनके घर में अगले कई दिनों तक मौन अनुशासन आ गया। आप समझ गए होंगे कि एक छोटे से कॉलम के माध्यम से एन रघुरामन ने एक बहुत बड़ी बात कह दी, कि किसी भी परिवार के लिए उसकी बेटी कितनी महत्वपूर्ण है। और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी छोटी-छोटी सावधानी से अपने तथा अपने परिवार को इन कष्टदायी “सोशल स्क्रैच” से बचा सकते हैं।