कोरोना पीड़ितों के लिये हौसला आफजाई के स्रोत हो सकते हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह

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कोरोना महामारी के संकट से समूचा विश्व जूझ रहा है, वहीं भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था महामारी के इस दूसरे लहर में लगभग धराशाही हो गई है।

त्राहिमाम के इस मंजर में लगभग असहाय हो चुके या फिर यूँ कहें कि ध्वस्त हो चुके स्वास्थ्य विभाग के समूचे तंत्र (फिर चाहे वो केंद्र सरकार का हो अथवा राज्य सरकार का), सरकारों के आरोप-प्रत्यारोप संबंधी राजनैतिक व्यस्तता, मद्रास हाईकोर्ट का चुनाव आयोग पर कोरोना को बढ़ावा देने संबंधी तल्ख़ टिप्पणी के बीज आपको बता दें कि अभी भी इस संकट को इस स्थिति तक ही सीमित रहने के पीछे इंसानियत और मानवता है।

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जब अधिकांश सरकार और जनप्रतिनिधियों ने एक तरह से मुँह फेर लिया, ऐसे में सैकड़ों स्वयंसेवी संस्था, युवाओं के छोटे-छोटे समूह या फिर व्यक्तिगत रूप से किये जा रहे मदद के पहल से न जाने कितनों के जान बचाये जा चुके हैं। “कोशी की आस परिवार” उन तमाम मददगार साथियों के प्रति आभारी है और उनकर्मवीरों को सलाम करता है।

अब बात इस महामारी की!

कोरोना महामारी के आंकड़ों संबंधी विश्लेषण का अबतक के अध्ययन से यह जानकारी प्राप्त होती है कि इस महामारी से पीड़ित अधिकांश व्यक्ति (लगभग 95-98%) स्वस्थ हो जाते हैं, फिर इतना हाय-तौबा क्यों? उसके पीछे एक बड़ी वज़ह संक्रमण है। कोरोना के प्रारंभिक मामले में भारत सरकार के उस वक़्त उठाये गए संघीय कदम (एक देश – एक कदम) के बदौलत हम इस बीमारी के बारे में अनभिज्ञ रहने के बाद भी स्थिति को संभालने में सफल रहे थे लेकिन सरकार की लापरवाही, आमजनमानस का सावधानी न बरतना और कोरोना वायरस के स्वरूप में बदलाव (जिसमें संक्रमण की दर अत्यधिक है) वज़ह बना है, इस ख़ौफ़नाक मंजर का।

बात कोरोना के ख़ौफ़नाक मंजर का!

यूँ तो कोरोना से पीड़ित लगभग 95-98% व्यक्ति स्वस्थ हो जा रहे हैं और उसमें भी घर पर स्वस्थ होने वालों का प्रतिशत भी लगभग 90% है, के वाबजूद इसके खौफ़नाक होने का कारण पीड़ित को बीमारी की अवधि में 2-3 दिन होने वाला असहनीय पीड़ा, जब न सिर्फ़ पीड़ित बल्कि उसके परिजन भी घबराने लगते हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि इस बीमारी पर जीत में दवा, सावधानी के साथ-साथ यदि कुछ रामबाण का काम कर रहा है तो वह है इसका मजबूती से सामना करना। हिम्मत और साहस के बल हम कोरोना को कम-से-कम अवधि में पराजित कर अपने आपको स्वस्थ कर सकते हैं।

क्यों हो सकते हैं? हौसला आफजाई के स्रोत वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह

कोरोना से बचाव के टीकाकरण अभियान में शामिल हो पहला डोज़ ले चुके वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह दिनांक 17 अप्रैल को अस्वस्थ होने पर टेस्ट कराने के उपरांत कोविड पॉजिटिव पाए गए, जिसकी सूचना उन्होंने फ़ेसबुक के माध्यम से साझा किया। उनको भी कई रिश्तेदारों, परिचितों के द्वारा तरह-तरह के सलाह और सुझाव मिलने लगे। श्री सिंह ने घर पर रहकर ही इलाज कराने का निर्णय लिया, होम-आइसोलेशन में रहकर वे डॉक्टर की सलाह पर दवा लेने लगे लेकिन 23 अप्रैल को जब उनकी स्थिति ख़राब होने लगी तो उनके सहरसा के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, उन्हें ऑक्सीजन का सपोर्ट दिया गया।

अपनी बेबाक अंदाज़ के लिए जाने जानेवाले श्री सिंह इस मुश्किल अवधि के दौरान भी फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से सभी के संपर्क में रहे, लेकिन इस महामारी से जंग जितने के उनके जज्बे को उनके फेसबुक पर नियमित रूप से उनके द्वारा किये जा रहे पोस्ट से समझा जा सकता है। जहाँ कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आ जाने भर से लोग घबरा जाते हैं वहीं श्री सिंह ने साबित किया है कि “भले रास्ते मुश्किल हों लेकिन मजबूत इरादों से उस पार पाना मुश्किल नहीं है” (आपसब भी Mukesh Singh नाम से उनके फ़ेसबुक id पर जा उनके जज़्बे से अवगत हो सकते हैं।)

अंत में कोशी की आस परिवार माध्यम से बस इतना निवेदन है कि मुश्किल दौर से हमलोग गुजर रहे हैं, जब तक अत्यंत आवश्यक न हो घर से कदम बाहर न निकालें, जिंदा रहे तो पैसे कमा लेंगे, घबराएं नहीं, मास्क को अनिवार्य कर लें, वैक्सीन अवश्य लगवाएं और सरकारी गाइडलाइंस का अवश्य पालन करें। साथ ही एक विनम्र निवेदन कि शादी-विवाह, मुंडन संस्कार आदि को यदि टाल सकते हैं तो टाल दीजिए, जीवन सबसे आवश्यक है और हाँ आपके यहाँ अगर इस तरह का निमंत्रण पत्र आ रहा है तो इस डर से कि बुरा मान जाएगा कैसे नहीं जाएंगे ये मत सोचिए, मना करिए सब ठीक होने पर आने के बारे में बताईये अन्यथा यमराज जी बुरा मान जायेंगे।

 

स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@नई दिल्ली

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