भारतीय रेल यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में वंदेभारत ट्रैन और मेट्रो ट्रेन की तर्ज पर ट्रेनों के कोच बनाने जा रहा है। वंदेभारत ट्रैन और मेट्रो ट्रैन की खास बात ये है कि ये ट्रैन बिना दरवाजा बंद हुये नहीं चलती है। भारतीय रेल भी यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ इसी प्रकार की योजना बनाने जा रही है जिससे यात्रियों के जान बचाई जा सके।दरवाजे खुले रहने की वजह से हजारों लोगों की जान चली जाती है। साथ ही इसके अलावा यात्रियों से सामान छीन कर ट्रेन से कूद कर भागने की घटना की शिकायत हजारों में होती है।
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए रेलवे ऐसा करने जा रही है। इसकी शुरुआत करते हुए भारतीय रेल पहले चरण में राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस में स्वचालित डोर क्लोजर मैकेनिज्म की व्यवस्था की जाएगी। अभी तकरीबन तीन सौ कोच में यह सुविधा दी जानी है।
सभी ट्रेनों में स्वचालित दरवाजा लगाने की योजना
रेलवे प्रशासन ने मेट्रो की तर्ज पर ट्रेनों को दरवाजा बंद कर चलाने की योजना बनाई है। पहली ट्रैन वंदे भारत एक्सप्रेस में चलाई गई जिसमें यह सुविधा दी गई थी। ऑटोमेटिक दरवाजे के अलावा ट्रैन में डिसप्ले भी है जो यात्रियों को आने वाले स्टेशन के बाड़े में जानकारी देता है। वंदे भारत ट्रेन की सफलता को देखते हुए रेलवे अब सभी ट्रेनों में स्वचालित दरवाजा लगाने की योजना बना रहा है।
इसके लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जारी बजट पुस्तिका में रेलवे ने प्रावधान किया है। पायलट प्रोजेक्ट की तहत तीन सौ कोच में स्वचालित दरवाजा लगाए जाएंगे। अर्थात सभी दरवाजा बंद होने के बाद ही ट्रेन चलेगी, एक भी दरवाजा खुले रहने पर ट्रेन नहीं चलेगी। जिस प्रकार वंदे भारत ट्रेन के रुकने के बाद ही दरवाजे खुलते हैं ठीक उसी प्रकार इन सभी ट्रेनों के दरवाजे, ट्रेन के रुकने के बाद ही खुलेगें। ऐसे प्रत्येक कोच में दरवाजा लगाने के लिए 20 लाख रुपये खर्च होंगे। प्रथम चरण में राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस में ऐसे दरवाजे लगेंगे। इन ट्रेनों के दरवाजा से ऊपर इलेक्ट्रिक पट्टी लगेगी, जिसमें आने वाले स्टेशनों पर डिस्प्ले होता रहेगा। ट्रेन रुकने के पहले बीप की आवाज सुनाई देगी और चलने से पहले दरवाजा बंद होने लिए अलार्म बजेगा।