स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@पटना।
कहते हैं न कि दिल में अगर कुछ कर गुजरने की जज्बा हो तो तमाम मुश्किलों के बावजूद इंसान अपनी मंजिल को प्राप्त कर ही लेता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में अपने अदम्य साहस और आत्मबल के सहारे गणित के जादूगर के रूप में विख्यात चर्चित शिक्षक आरके श्रीवास्तव आज बिहार के श्रेष्ठ शिक्षकों में शामिल हैं। जिनसे पढ़ने की तमन्ना हजारो स्टूडेंट्स रखते हैं। सिर्फ 1 रू गुरू दक्षिणा लेकर सैकड़ों गरीबों को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई, एनडीए सहित देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगाया है। बिना किसी संसाधन के आर के श्रीवास्तव ने पढाना आरंभ कर, आज जो मुकाम हासिल किया है और जिस तरह तेजी से अग्रसर होते हुए, गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना रहे हैं, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा माननीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं।
आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक आँगन से सिर्फ 1रू गुरू दक्षिणा में स्टूडेंट्स शिक्षा ग्रहण कर इंजीनियर तो बन ही रहे है। इसके अलावा श्री श्रीवास्तव का अपने माँ के हाथों प्रत्येक वर्ष 50 गरीब स्टूडेंट्स को निःशुल्क किताबे बंटवाने के पुनीत कार्य भी काफी सरहनीय है। शिक्षा के क्षेत्र में इनके द्वारा चलाया जा Wonder Kids Program और Night Classes अद्भुत है। Google boy Kautilya Pandit के गुरू के रूप में भी देश इन्हें जानता है।
मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव यानी गणित पढ़ाने का दीवाना, पूरी रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाते, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव मशहूर है कि वे जादुई तरीके से खेल-खेल में गणित का गुर सिखाते है। चुटकले सुनाकर खेल-खेल में पढ़ाते हैं। गणित के मशहूर शिक्षक मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव जादुई तरीके से गणित पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं। सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज एक अभियान के रूप में पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं। सबसे बड़ी बात है कि वैसे स्टूडेंट्स जिन्हें गणित के नाम से ही डर लगता है परंतु वे आरके श्रीवास्तव के क्लास में जब शिक्षा ग्रहण करते है तो वे गणित के हौवा को भूल जाते है। स्टूडेंट्स अगले दिन भी यह कहते है कि हमें आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज में पूरे रात लगातार 12 घण्टे गणित पढ़ना है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स बिना किसी तनाव के एन्जॉय करते हुए गणित के प्रश्नों को हल करते हैं।
उनके इस क्लास को देखने और उनके शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान इनके संस्थान देखने आते हैं। नाईट क्लासेज अभियान हेतु स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने और गणित को आसान बनाने के लिए यह नाईट क्लासेज अभियान अभिभावकों को भी खूब भा रहा है। स्टूडेंट्स के अभिभावक इस बात से काफी प्रसन्न दिखे कि जहाँ मेरा बेटा-बेटी जो ठीक से घर पर पढ़ने हेतु 3-4 घण्टे भी नहीं बैठ पाते, उसे आरके श्रीवास्तव ने पूरे रात लगातार 12 घण्टे कंसंट्रेशन के साथ गणित का गुर सिखाया। आपको बताते चले कि अभी तक आरके श्रीवास्तव के द्वारा 251 से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा दी जा चुकी है, जो अभी भी लगातार जारी है।
वैसे आरके श्रीवास्तव प्रतिदिन के क्लास में तो स्टूडेंट्स को गणित का गुर सीखाते ही हैं, परंतु यह स्पेशल नाईट क्लासेज प्रत्येक शनिवार को लगातार 12 घण्टे बिना रुके चलता है। इसके लिए आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश में उस समय चर्चा में आये जब वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के चैलेंज के दौरान इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग-अलग तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज चुका है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 विभिन्न तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामना भी दिया। इसके अलावा आरके श्रीवास्तव ने संख्या 1 क्या है? विषय पर शैक्षणिक सेमिनार में घण्टो भाषण देकर अपने प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कराया है।
आरके श्रीवास्तव गणित को हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है। इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है। अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को भी जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं? वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी, जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी की वजह से आईआईटी प्रवेश परीक्षा नहीं दे पाये थे। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनयर। आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा। उसी संघर्ष को सकारात्मक रूप से लेते हुए आज वे आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स (सब्जी विक्रेता का बेटा, गरीब किसान, मजदूर ,पान विक्रेता) को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर इंजीनियर बना चुके हैं। आज ये सभी स्टूडेंट्स अपने गरीबी को पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि मुझे लगा कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।
आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग तरीके से हल करना भी सिखाते हैं। वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते हैं। रामानुजन, वशिष्ठ नारायण को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है, इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है। इनके द्वारा चलाया जा रहा वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज भी अद्भुत है, इस प्रोग्राम के तहत नन्हें उम्र के बच्चे जो वर्ग 7 और 8 में है परंतु अपने वर्ग से 4 वर्ग आगे के प्रश्नों को हल करने का मद्दा रखते है। वर्ग 7 व 8 के स्टूडेंट्स 11 वी, 12 वी के गणित को चुटकियो में हल करते है। आरके श्रीवास्तव के वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज के इन स्टूडेंट्स से मिलने और शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिये अन्य राज्यो के लोग इनके इंस्टीटूट को देखने आते है। इसी खासियत और इनके गणित पढ़ाने के जादुई तरीके ने उन्हें मैथमेटिक्स गुरु का दर्जा दिला दिया ।
श्रीवास्तव के गणित के प्रति प्रेम और नाईट क्लासेज के रूप में लगातार 12 घण्टे 251 क्लास से अधिक बार जादुई तरीके से गणित पढाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने हेतु इन्हें सम्मानित किया गया। आरके श्रीवास्तव का बचपन काफी गरीबी से गुजरा। उनके पास अपने शौक पूरा करने के पैसे नहीं थे। श्रीवास्तव अपने शैक्षणिक तरीको से स्टूडेंट्स में काफी लोकप्रिय है। चाहे वह नाईट क्लास के रूप में लगातार 12 घण्टे गणित का गुर सीखना हो या वे इस बात से भी काफी लोकप्रिय है कि 10 से भी ज्यादा तरीकों से 1 सवाल को बना सकते है। इसी खासियत ने उन्हें आज देश मे मैथमेटिक्स गुरु का दर्जा दिला दिया। पिछले कई वर्षों से आरके श्रीवास्तव अखबारों में खूब सुर्खियां बटोर रहे है।
आरके श्रीवास्तव का बचपन अन्य बच्चों जैसा सामान्य नहीं रहा। बचपन मे 5 साल की उम्र में पिता के गुजरने और बड़े होने पर एकलौते बड़े भाई के गुजरने के बाद परिवार को काफी संघर्षो का दिन भी देखना पड़ा। आरके श्रीवास्तव की शुरुआती पढ़ाई ग्रामीण परिवेश के सरकारी विद्यालयों से हुई। शुरू में श्रीवास्तव का रुचि बिल्कुल गणित के प्रति नहीं रहा किन्तु प्राइमरी परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। आगे की पढ़ाई के लिए पहली बार उच्च माध्मिक स्कूल में गये यहीं से गणित की पढ़ाई की शुरुआत हुई।
प्रश्न पूछने का शौक
आरके श्रीवास्तव को बचपन से ही प्रश्न पूछने का शौक रहा। और वे कभी-कभी ऐसा प्रश्न पूछते कि शिक्षकों के समझ में नहीं आता कि इतना छोटा बच्चा ऐसे सवाल कैसे कर रहा है। दरअसल, किसी सवाल को जानने की उनमें बहुत जिज्ञासा हमेशा से रहा।
आपको बताते चले कि यह भी मशहूर है कि अपने क्लास में पढ़ाई करने के दौरान अपने सीनियर को गणित भी पढ़ाया करते। वर्ग 12 से पहले ही लोनी द्वारा कृत प्रसिद्द ट्रिग्नोमेट्री और कोआर्डिनेट ज्योमेट्री के प्रश्नों को हल कर दिया।
गणित में करते टॉप, बाकी विषयों में आते कम नम्बर
बचपन से ही आरके श्रीवास्तव गणित इतना अधिक पढ़ाई करते कि अन्य विषयों पर थोड़ा-सा भी ध्यान नहीं दे पाते। इसका नतीजा एक बार ऐसा हुआ कि 10वी की परीक्षा में गणित में तो टॉप कर लिया जबकि अन्य सभी विषयों में बहुत कम अंक आये। श्रीवास्तव के जीवन के कुछ साल बहुत संघर्ष भरा रहा। पिता के बाद बड़े भाई के गुजरने के बाद श्रीवास्तव पर अपने पढ़ाई के अलावा तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाना सहित पूरे परिवार की जिमेद्दारी आ गई। परन्तु श्रीवास्तव ने अपने जीवन में कभी हार नहीं माना और अपने कड़ी मेहनत, ऊंची सोच, पक्का इरादे के साथ आज मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर है।
सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर शुरू किया था पढ़ाना। प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा। वर्तमान में बिहार के आरके श्रीवास्तव को देश के विभिन्न राज्यो के शैक्षणिक संस्थाए गेस्ट फैकल्टी के रूप में शिक्षा देने के लिए भी बुलाते है। बातचीत के क्रम में उन्होने बताया कि पढ़ने-पढ़ाने के अलावा वे कुछ भी नहीं सोचते हैं, उन्हें लगता है कि छात्रों के अंदर सब कुछ है बस उसे परोसने की कला सीखनी है। गणित के बारे में छात्रों के दिमाग में बचपन से ही बैठा दिया जाता है कि कठिन है लेकिन तकनीक के माध्यम से पढ़ाते है जिससे छात्रों को लगता है कि अन्य विषय से गणित के सवालों को हल करना काफी आसान है।