स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@ नई दिल्ली
दिनांक – 12-01-2020
विषय – भारतीय युवाओं में नायक के अभाव के संबंध में।
पूज्य स्वामी जी,
सर्वप्रथम भारतीय दर्शन के महामनीषी के श्रीचरणों में अपना शीश निवेदित करता हूँ। आपको जन्मदिवस की अनंत मंगलकामनाएं। आज 12 जनवरी है, कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि। स्वामी जी, आपको पत्र लिखते हुए मेरी आँखें नम हैं, ऊँगलियाँ काँप रही हैं। वस्तुतः वर्तमान काल हमारे देश का कृष्ण पक्ष काल है। इस कृष्ण पक्ष ने आपके द्वारा प्रतिपादित धर्म, अध्यात्म, मानवता, शिक्षा दर्शन के शुक्ल पक्ष को लील लिया है। हर जगह अंधियारे का प्रभुत्त्व है। आज का भारतवर्ष वह भारतवर्ष नहीं है, जिसका स्वप्न आपने देखा था। आपसे करबद्ध निवेदन है स्वामी जी कि आज के समाचारपत्र में अपनी जयंती की शुभकामनाओं वाला भाग ही नहीं अपितु समाचारपत्र के सम्पूर्ण पृष्ठों को क्रमबद्ध पढ़िएगा। भारतभूमि का कुशलक्षेम आपको यहीं प्राप्त होगा। सामाजिक-राजनैतिक पतन, दुराचार, अलगाव, आतंकवाद, शोषण, असहिष्णुता से रक्तरंजित भारतभूमि। शेष समाचार आपके हृदय को द्रवित कर सकता है, संभव है आप भारतमाता की वर्तमान दशा जानकर फूट-फूट कर रो पड़ें। संभव यह भी है आप पुनः स्वदेश उद्धार हेतु अवतरण को उद्विग्न हो जाएं और यह अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी जी, वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह कहना सर्वथा उचित होगा कि हम युवाओं को सद्य एक समीचीन-संतुलित नायक की आवश्यकता है। देश की कलुषित राजनीति हमारी ऊर्जा का व्यर्थ दोहन कर रही हैं, हमारी असीम क्षमताओं का अन्यत्र पलायन हो रहा है। वर्तमान शिक्षा पद्धति हम युवाओं को सत्य-मिथ्या का अंतर स्पष्ट करना नहीं सिखा पा रही, मानवता-अमानवीय का अंतर करना हम भूलते जा रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण समाज में प्रबुद्ध नायक का अभाव होना है। इस अभाव को आप ही मिटा सकते हैं।
व्यथाएं अनंत हैं और शब्द सीमा तय है। आपने कहा था ना ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए’। हम युवा उठते प्रतिदिन हैं, पर हमें जगाने वाला कोई नहीं, लक्ष्य प्राप्ति के लिए पथ प्रदर्शित करने वाला कोई नहीं। कृष्ण पक्ष की रात्रि में हम काले रास्ते पर निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। पता नहीं यह रास्ता हमारे लक्ष्य को जाता भी है या नहीं। अंत में यही कहना चाहूँगा स्वामी जी कि पुनः अवतरित होकर हमारी राह को आलोकित कीजिए।
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई के विभाजन से व्यथित हूँ, शिकागो सम्मेलन की तरह हमें भी किसी सम्मेलन में ‘मेरे भारतीय भाइयों और बहनों’ से संबोधित कर आह्लादित कीजिए । आपके पुनः अवतरण के लिए आकुल,
एक भारतीय युवा
अमन आकाश।
उक्त आलेख माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से एमफिल कर रहे सीतामढ़ी के श्री अमन आकाश के हैं।