आरके श्रीवास्तव:—
चुटकले सुनाकर खेल-खेल में पढ़ाते हैं गणित
गणित के मशहूर शिक्षक मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव जादुई तरीके से गणित पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं। सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नही। इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान इनका इंस्टीटूट देखने आते है। नाईट क्लासेज अभियान हेतु स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने और गणित को आसान बनाने के लिए यह नाईट क्लासेज अभियान अभिभावकों को खूब भा रहा। स्टूडेंट्स के अभिभावक इस बात से काफी प्रसन्न दिखते है कि मेरा बेटा-बेटी जो ठीक से घर पर पढ़ने हेतु 3-4 घण्टे भी नही बैठ पाते, उसे आरके श्रीवास्तव ने पूरे रात लगातार 12 घण्टे पूरे कंसंट्रेशन के साथ गणित का गुर सिखाया। आपको बताते चले कि अभी तक आरके श्रीवास्तव के द्वारा 200 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा दी जा चुकी है जो आगे जारी भी है। वैसे आरके श्रीवास्तव का प्रतिदिन क्लास में तो स्टूडेंट्स गणित का गुर सीखते ही है परंतु यह स्पेशल नाईट क्लासेज प्रत्येक शनिवार को लगातार 12 घण्टे बिना रुके चलता है। इसके लिए आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश मे उस समय चर्चा में आये जब इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग अलग तरीको से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज चुका है। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 विभिन्न तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाये भी दिया। इसके अलावा आरके श्रीवास्तव संख्या 1 क्या है, पर शैक्षणिक सेमिनार में घण्टो भाषण देकर अपने प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कराया।
आरके श्रीवास्तव गणित के हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है। इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है। अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी, जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
आरके श्रीवास्तव एक पंक्ति के माध्यम से हमेशा बच्चों को हौसला देते हैं, वो आपसब के साथ साझा करना चाहूँगा……
“जीतने वाले छोड़ते नही, छोड़ने वाले जीतते नही”
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी के चलते आईआईटी प्रवेश परीक्षा नही दे पाये थे। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो स्टूडेंट्स को इंजीनयर। आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा। आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ाते है गणित, प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा।सैकड़ो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर बना चुके है इंजीनियर। श्री श्रीवास्तव कहते हैं कि मुझे लगा कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।
आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग मेथड से हल करना भी सिखाते हैं। वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते हैं। रामानुजन, वशिष्ठ नारायण को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है।
सामाजिक कार्य:-
अपने शैक्षणिक आँगन में गरीब, पिछड़े और साधनहीन परिवार से आने वाले बच्चों को गणित का निःशुल्क शिक्षण देने के आलावे प्रत्येक वर्ष 100 गरीबो को ठंड में रात को घर, सड़क, इंस्टीटूट पर कम्बल बाँटने का कार्य आरके श्रीवास्तव के द्वारा किया जाता है। उनका कहना है कि हमने मुश्किलें झेली है, इसलिए हम उनकी मुश्किल महसूस कर सकते हैं और यही वजह है कि हम से ईश्वर की कृपा से जितना बन पा रहा है मदद की कोशिश कर रहा हूँ। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भगवान और माता रानी की कृपादृष्टि रही तो इस वर्ष भी घर-घर पहुँच कर यह शुभ कार्य करना चाहता हूँ।
आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि बिहार वासियों के लिये महापर्व माने जाने वाले छठ पर्व में लोग यूँ तो अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार अपनी आस्था का परिचय देते हैं, वो बताते हैं कि मैंने देखा है कि कई बेहद गरीब परिवार से आने वाले लोगों की पूजा करने की इच्छा होने और उसे पूरी करने में कई मुश्किलें आती हैं। उन्हीं बुरे अनुभव से सीख मैंने फैसला लिया था कि जैसे ही हालात ठीक होंगे मैं बेहद गरीब परिवार से आने वाले व्रती और व्रत करने वालों को कुछ-न-कुछ मदद करूँगा और आज छठी मैया के कृपा से मैं प्रत्येक वर्ष फल सहित अन्य पूजन सामग्री को अपनी क्षमता के अनुसार वितरण करना प्रारंभ कर दिया हूँ।
अपने उपरोक्त कार्यों के आलावे आरके श्रीवास्तव अपनी माँ के हाथों से प्रति वर्ष 50 गरीब मेधावी छात्रों को निःशुल्क किताबे बंटवाने का भी पुण्य कार्य करते हैं। आरके श्रीवास्तव बच्चों को अभी-अभी ISRO के चंद्रयान-2 का उदाहरण देते हुये बताते हैं कि बड़ी सफलता पाने के रास्ते मे छोटी-छोटी असफलताओ से गुजरना पड़ता है, लेकिन एक समय के बाद जीत सफलता की ही होती है। जिस तरह आज़ पूरा राष्ट्र #ISRO के आंशिक असफलता के बाद भी साथ खड़ा है और समूचा देश #ISRO पर गर्व कर रहा है, ठीक उसी तरह आपसभी को सफलता के बारे में सोचे बगैर लगातार अपने लक्ष्य पाने के लिए मेहनत करना चाहिए, सफलता आपके कदमों में होगी।