आरके श्रीवास्तव के इस वक्तव्य से सभी शैक्षणिक संस्थाओं को सीख लेने की जरूरत —
आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन से पढ़कर गौरव कुमार बना आईआईटियन, सेमिनार आयोजित करके आरके श्रीवास्तव ने कही बहुत ही दिलचस्प बातें, इस पर सभी को अमल करने की जरूरत है।
आरके श्रीवास्तव ने सेमिनार के संबोधन में जो कहा उससे सारे शैक्षणिक संस्थाओं को सीख लेने की जरूरत है।
सफलता भी मेरी तो असफलता भी मेरी—–
मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव ने एक शैक्षणिक सेमिनार में अपने संबोधन में बताया की सभी शैक्षणिक संस्थाओं में सफल स्टूडेंट्स का श्रेय लेने की होड़ सी लग जाती है। जबकि उन शैक्षणिक संस्थाओं में वैसे सैकड़ों- हजारों प्रतिभाएं शामिल है जो असफल भी हुए, आखिर उनके असफलता का श्रेय कौन लेगा। उन सभी शैक्षणिक संस्थाओं को संदेश देते हुए श्रीवास्तव ने बताया की आप सभी कोचिंग संस्थान के संचालक यदि सफल छात्र- छात्राओं का श्रेय खुद लेते है तो आपकी यह भी जिम्मेवारी है कि आपके संस्था से असफल हुए सैकड़ों स्टूडेंट्स का श्रेय खुद आगे आकर आपको लेना पड़ेगा। यदि आप सभी ऐसा करते है तभी बेहतर शिक्षा का माहौल देश में बनेगा और आने वाले दिनों में भारत विश्वगुरु बनने की राह पर अग्रसर आगे बढ़ेगा।
लगभग सभी बोर्ड परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा, सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षा के अंतिम परिणाम सामने आ गए है ।जो स्टूडेंट्स सफल है उनके लिए तो यह गौरवशाली क्षण है ही….उनके अभिवावकों और हम जैसे शिक्षकों के लिए तो यह क्षण और भी उपलब्धियों का हो जाता है। मीडिया की दखलअंदाजी तो घर के कोने कोने तक हो गई है…इसी कमरे में पढ़ते थे और इसी पंखे के नीचे सोते थे जैसे न्यूज़ बार बार फ़्लैश भी कर रहे है। कई नई कहानियां और उदाहरण भी मीडिया और सोशल मीडिया के बहाने हम तक पहुंच रहे है,और यह सब कहानिया है उन सभी सफल लोगों की जो आज के नायक है। आरके श्रीवास्तव ने कहा कि
पर कहानी यही खत्म नहीं होती,कहानी तो उनकी भी है जो स्टूडेंट्स बहुत कम नंबरों से अंतिम सूचि में जगह नहीं बना पाये,जिनके कहीं नम्बर कम रहे या किसी खास पेपर में बेहद खराब अंक आ गए। जो यह भी नहीं समझ पा रहे की कल जिन पेपर में अच्छे अंक थे आज उन्हीं के चलते कैसे असफल हो गए।आखिर चन्द फासले पर खड़ी सफलता कुछ अंको से जब फिसलती है तो तकलीफ गहरी होती ही है,और यही नहीं, इनको अपनी असफलता से खुद ही लड़ना भी है।
कहते भी है की सफलता के कई अभिभावक होते है,पर असफलता अनाथ होती है। आरके श्रीवास्तव ने बताया कि एक शिक्षक के रूप में देखू तो वर्ष 2019 में छोटे से जगह बिक्रमगंज का गौरव जेईई एडवांस में बेहतर रैंक लाकर आईआईटी गुहाटी में प्रवेश पाकर अपने सपने को पंख लगाने के लिए तैयार है, वहीं ग्रामीण परिवेश का अक्षत राज एनआईटी अगरतला में पहुँचकर यह साबित कर दिया कि परिश्रम और लगन से कोई भी लक्ष्य को पाया जा सकता है। बिहार सहित देश के अलग अलग राज्यो में शिक्षा देने वाले आरके श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष हमारे पढाये दर्जनों स्टूडेंट्स आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफल हुए। परन्तु हम उन स्टूडेंट्स की चर्चा कर रहे जो ग्रामीण परिवेश से होकर आईआईटी तक पहुँचा। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक संस्था से पढ़कर ग्रामीण परिवेश के बिक्रमगंज का गौरव ने आईआईटी गुहाटी में पहुँचकर यह साबित कर दिया कि करो यकीन खुद पर तो दुनिया तुम्हारा।
श्रीवास्तव ने बताया कि इसके अलावा हमारे पढाये कई बच्चे ना केवल सफल हुए पर उच्च स्थान भी पाये है….पर अगर इन सफलताओ के लिए मैं श्रेय लेता हूं तो जिम्मेदारी उन बच्चों की भी लेनी होगी जो सफल नहीं हुए है।केवल कोचिंग में भीड़ बढ़ा लेने से तो जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता…..असफल बच्चे जब अकेले में यह सवाल पूछते होंगे की आखिर हम में क्या कमी रह गई, कहां चूक हो गई???तो क्या मैं अकेले में इन सब सवालो से बच सकता हूं।
इसलिए हम सभी शिक्षक यह शपथ लें कि असफल हुए स्टूडेंट्स का श्रेय भी हमें लेना पड़ेगा। आप सभी स्टूडेंट्स जो असफल हुए वे हार न माने क्योंकि जितने वाले छोड़ते नहीं, छोड़ने वाले जीतते नहीं। अपनी असफलता की मानसिक बाधा को दूर करते हुए आप सभी नए सिरे से तैयार हो जाइये और इस दौरान मैं भी नए सिरे से नए सफलता के उदाहरण गढ़ने के लिए खुद को तैयार कर रहा हूं।हम सभी मिलकर इस बार नए और नए जोश और उत्साह से अपनी अपनी भूमिका को बेहतर आकार देने की हम सभी कोशिश करेंगे।मुझे आप पर भरोसा है,मैं अंतिम दम तक आपका साथ नहीं छोड़ने वाला हूं,बस आप अपने भरोसे को जिन्दा रखे…..
सफलता भी मेरी तो असफलता भी मेरी…पर हौसलों की उड़ान अभी बाकि है। आप सभी स्टूडेंट्स खुद पर यकीन करें तो दुनिया आपके मुट्ठी में।