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“वीर तुम बढ़े चलो”
वीर हमेशा तुम बढ़े चलो;
लक्ष्य अपना तुम गढ़े चलो;
हो कितनी भी कठिनाईयाँ,
शीर्ष लेकिन तुम चढ़े चलो !
वीर तुम बढ़े चलो…
तपती दुपहरी में होश तुम धरे चलो;
कड़कती सर्दी में जोश तुम भरे चलो;
आ जाए गर कोई तूफां तो रूकना नहीं,
अडिग हो उसके सामने तुम अड़े चलो !
वीर तुम बढ़े चलो…
दुश्मनों से तो अपने तुम लड़े चलो;
बनकर साहसी बिना तुम डरे चलो;
डटकर मुकाबला हर परेशानियों से,
हर-पल व हर-वक्त तुम करे चलो !
वीर तुम बढ़े चलो…
नाम अपना वीर सैनिकों में तुम मढ़े चलो;
शक्ति लिए भारत माँ की जय तुम पढ़े चलो;
करके अर्पण अपना तन-मन अपना जीवन,
अपने वतन के लिए तो तुम जीए मरे चलो !
वीर तुम बढ़े चलो …!
“प्रिया सिन्हा”
कोशी की आस@पूर्णियाँ
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