आखिर कब तक मोदी शाह के भरोसे सत्ता में रहेंगे

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आखिर कब तक मोदी के नाम के भरोसे सत्ता में रहेंगे?

*भगवान कृष्ण ने गीता में कहा कि ” जब-जब धर्म की हानि होती है, मैं साधुजनों की रक्षा तथा दुष्टों का संहार करने के लिए अवतार लेता हूँ।”* यह बात तो भाजपा वालों ने गांठ बांध ली, पर शायद यह भूल गये कि *श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बार-बार शस्त्र उठा कर युद्ध करने को भी कहा है*। गीता का सबसे बड़ा संदेश कर्म में ही छुपा है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह तो देश व पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन और लोग जो सत्ता में हैं या न भी हैं वो कुछ करना ही नहीं चाहते। जमीनी स्तर पर तो मोदी-शाह खुद काम करने नहीं जाएंगे। ये बात भाजपा आलाकमान के साथ साथ इस पार्टी से जुड़े सभी लोगों को समझना पड़ेगा।…..

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लेकिन पहले बात कल आए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आये हुए परिणाम की जिसमें एक बार फिर दिल्ली आप की हुई…. जी हाँ, अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP यानी आम आदमी पार्टी एक बार फिर से दिल्ली में 62 सीटें जीतकर लगभग सभी न्यूज़ चैनलों द्वारा दिखाये गये Exit Pole को सही सबित कर दिखाया। हालांकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा आखिरी समय तक दावा किया जा रहा था कि उनकी पार्टी सत्ता में आ रही है लेकिन उन्हें सिर्फ 8 सीटों से संतोष करना पड़ा। जहाँ तक कोंग्रेस की बात है तो शायद कांग्रेस कहीं भी रेस में थी ही नहीं।

अब सवाल सबसे अहम है कि 8-9 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में यही दिल्ली की जनता 7 में सातों सीट BJP की झोली में देती है लेकिन विधानसभा चुनाव में आखिर क्या वजह रही होगी। हालांकि ये सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है, पिछले कुछ समय से जहाँ जहाँ चुनाव हुए हैं, लोकसभा में अधिकांश सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी, विधानसभा चुनाव में पिछड़ती नजर आ रही है। हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड और अब दिल्ली (इन सभी जगह पार्टी का हारना) ये ऐसे उदाहरण हैं जो पार्टी के सामने एक यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा हो गया है।

भाजपा के सांसद और विधायक शायद ये सोच रहे हैं कि उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है, सब कुछ तो मोदी-शाह कर ही रहें हैं। ये सोच पार्टी में हावी होती जा रही है, हो सकता है ये कहीं पार्टी की कमजोरी न बन जाय।

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@नई दिल्ली

Pic source: google

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