जब मुख्यमंत्री पिता ने अपने पुत्र को मंत्री बनाया:
महाराष्ट्र में भाजपा से अलग होकर सरकार बनाने वाले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मंत्री बना दिया है। शायद यह महाराष्ट्र का पहला मामला है, लेकिन देश में ऐसे और भी कई उदाहरण मौजूद हैं जब मुख्यमंत्री पिता ने अपनी बेटे को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। वैसे तो सियासत में परिवारवाद का मामला अब नया नहीं रहा। आइए, राजनीति के इस खेल में जानते हैं कि कब-कब मुख्यमंत्री पिता ने अपने पुत्र को मंत्री बनाया।
जब चौधरी देवीलाल ने रणजीत चौटाला को मंत्री बनाया:-
हरियाणा के दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल जब 17 जुलाई 1987 को मुख्यमंत्री बने तो बेटे रणजीत चौटाला को मंत्रिमंडल में शामिल किया। तब रणजीत चौटाला कृषि मंत्री बनाए गए थे। देवीलाल का यह कार्यकाल 2 दिसंबर 1989 तक रहा। रणजीत उस समय सिरसा के रोडी विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे।
जब करुणानिधि ने अपने बेटे स्टालिन को मंत्रिमंडल में शामिल किया:-
तमिलनाडु की सियासत में वंशवाद का बोलबाला वर्षों से रहा है। 2006 में करुणानिधि के नेतृत्व में डीएमके की सरकार बनी तो उन्होंने अपने छोटे बेटे एमके स्टालिन को कैबिनेट मंत्री बनाया।
पिता व पुत्र के लगाव में केसीआर भी पीछे नहीं रहे जब उन्होंने अपने बेटे केटीआर को मंत्री बनाया
तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद चुनाव में टीआरएस की सरकार बनी। मुख्यमंत्री के बाद के.चंद्रशेखर राव ने अपने बेटे केटी रामा राव को मंत्री बनाया। 2018 में टीआरएस फिर सत्ता में लौटी और केसीआर ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने एक बार फिर अपने बेटे को मंत्री बनाया।
जब प्रकाश सिंह बादल ने सुखबीर सिंह बादल को मंत्री बनाया
2007 में पंजाब की अकाली दल की सरकार बनी और प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री बने। प्रकाश सिंह बादल ने भी सुखबीर सिंह बादल को मंत्री बनाया। 2009 में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। 2012 में भी यही कहानी दोहराई गई। जब प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री और सुखबीर सिंह बादल मंत्री बने थे।