देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों से चल रही हैं लेकिन जो राज्य इस बार सबसे ज्यादे चर्चा में है वह है पश्चिम बंगाल। जी हाँ,पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजरें बनी हुई है। BJP Vs TMC। वैसे तो चुनाव में हर सीट महत्वपूर्ण होता है लेकिन कुछ सीटों की महत्ता काफी बढ़ जाती है। उसमें से एक सीट है नंदीग्राम। नंदीग्राम के बाड़े में ऐसा बोला जा रहा है कि अब बंगाल की लड़ाई नंदीग्राम तक आकर सिमट गई है। अर्थात मतलब साफ है कि भाजपा या टीएमसी भले ही बंगाल जीत जाएं, लेकिन नंदीग्राम हार जाते हैं तो उसे नैतिक हार माना जा सकता है।
ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भाजपा और टीएमसी के लिए नंदीग्राम आखिर इतना अहम क्यों हो गया? जिस नंदीग्राम में 2016 के चुनाव में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था, वहां आखिर ममता बनर्जी को इस बार खुद मैदान में क्यों आना पड़ा ?
दरअसल, नंदीग्राम विधानसभा सीट पर एक अप्रैल को मतदान होगा और यहां ममता बनर्जी यानी दीदी व सुवेंदु अधिकारी यानी दादा के बीच आमने-सामने की टक्कर है। यह वही सुवेंदु अधिकारी हैं, जो 20 साल पहले तक ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे, लेकिन अब उनके ही खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। अहम बात यह है कि नंदीग्राम ही वह जगह है, जहां से ममता ने सत्ता की और कदम बढ़ाई थी और एक बार फिर सत्ता के लिए ममता नंदीग्राम जीतने की कोशिश कर रही हैं।
स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@नई दिल्ली