आय से शुरू भाई रहल ये, लोकआस्था के महापर्व छठ

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कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी के बड़ धूमधाम से मनाय जाय वाला महापर्व छठ पूजा के शुभारंभ, आय यानि 31 अक्टूबर से भाई गेल। चार दिन चले वाला यह पर्व नहाय-खाय से प्रारंभ भाई के उगते हुए भगवान सूर्य के अर्घ्य दै के बाद संपन्न हो छै। यी महान पर्व के अपन एक अलग ऐतिहासिक महत्व छै।

यी पर्व के दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे के निर्जला व्रत रखे ये। व्रत के दौरान व्रतधारी पानी भी ग्रहण नहीं करे छै। यी त्योहार पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनायल जै छै। पारिवारिक सुख-समृध्दि और मनोवांछित फल के प्राप्ति के लिए यी पर्व मनायल जै याय। येकर शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी के होय के कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी के पूर्ण होत।

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छठ पूजा में सूर्य देव के पूजा कइल जाय छै और उनका अर्घ्य देल जाय छै। सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप में दिखाई दै वाला एक मात्र देवता छै, जे पृथ्वी पर सब प्राणि के जीवन के आधार ये। सूर्य देव के साथ-साथ छठ पर छठी मैया के भी पूजे के विधान छै।

पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया के पूजा संतान के रक्षा और दीर्घायु प्रदान करे ले करल जाय छै। शास्त्र में षष्ठी देवी के ब्रह्मा जी के मानस पुत्री भी कहल गेल छै। पुराण में उनका माँ कात्यायनी के नाम से वर्णन करल ये, जिनकर पूजा नवरात्रि के बाद षष्ठी तिथि पर होय ये। षष्ठी देवी के ही बिहार-झारखंड के स्थानीय भाषा में छठी मैया कहल जाय छै।

छठी मैया सबहक मनोकामना पूरा करे और गलती माफ़ करे, यही कामना ये। अंत में एक बार सब आदमी एक साथ बोलू छठी मैया की जय…..
Pic Source-फेसबुक

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