“कैसे लिखूँ सुप्रभात, किसी के घर का चिराग बुझ गया,
आज तो सिर्फ आँखों से आँसू और मुख से वंदे मातरम ही निकल रहा है॥
14 फरवरी को जब समूचे विश्व में “प्यार वाले दिन” यानि “वेलेंटाइन डे” मनाया जा रहा था, वहीं कश्मीर की खूबसूरत वादियों की जमी, आतंकियों की नापाक हरकतों से हमारे CRPF के जवानों के ख़ून से रंगीन हो गई। वीभत्स मंज़र पर सहसा यकीन करना मुश्किल था कि लगभग 2500 CRPF के जवानों को ले जाते समय ऐसी सुरक्षा चूक कैसे हुई?
रक्षा विशेषज्ञों की राय में यदि हमारे सैनिकों की इतनी बड़ी समूह अगर चलती है तो रास्ते आम-लोगों के लिए बंद हो जाते हैं, किन्तु ये अर्ध-सैनिक बल थे और कुछ ही दिन पहले यह व्यवस्था स्थानीय राजनैतिक दलों के विरोध के कारण अर्ध-सैनिक बल से हटा लिया गया था। संपूर्ण समीक्षा को दरकिनार करते हुए वक्त आ गया है कि अब संपूर्ण प्रहार किया जाए। इस बर्बर घटना के बाद सारा देश उबल रहा है। अब आतंक के आकाओं, समर्थकों को यह बता देना चाहिए कि हमारी संस्कृति न आतंक करने की है और न ही सहने की। संपूर्ण भारत चाहे परिणाम कुछ भी हो, विश्व विरोध में चाहे क्यों ना आ जाए ठोस प्रहार होना चाहिए। राजनैतिक पार्टियों को अपनी रोटी सेंकने के बजाए एक होकर प्रहार को समर्थन करना चाहिए।
आतंक को……, आतंकी आकाओं को……., और आतंकी समर्थकों को अब बताना होगा कि
“हम फूलों से नहीं, काँटों से श्रृंगार करते हैं।
आश्चर्य हलाहल पी कर भी, हम मस्त जीया करते हैं।
ये दुनिया जीत नहीं देती, हम जीत लिया करते हैं।“
पुलवामा के अवंतीपुरा में मारे गये वीर शहीदों, तुम्हें शत-शत नमन।
अविनाश सिन्हा
(यह लेखक/कवि के स्वतंत्र विचार हैं।)
PIC SOURCE-GOOGLE IMAGES
निवेदन- अगर यह लेख/कविता पसंद आई हो तो लाइक/कमेंट/शेयर करें। अगर आपके आस-पास भी इस तरह की सच्ची कहानी और अच्छी कविता है तो हमें Message करें, हमारी टीम जल्द आपसे संपर्क करेगी। साथ ही फ़ेसबूक पर कोसी की आस का पेज https://www.facebook.com/koshikiawajj/ लाइक करना न भूलें, हमारा प्रयास हमेशा की तरह आप तक बेहतरीन लेख, सच्ची कहानियाँ और अच्छी कविता प्रस्तुत करने का है और रहेगा।