रोजगार के नाम पर आने वाले वित्तीय वर्ष अर्थात 2020-21 में बिहार के पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की योजना सरकार की है। सरकार की कोशिश है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक से अधिक योग्य आवेदकों को इसका लाभ मिले। भत्ता देने के लिए योजना एवं विकास मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 150 करोड़ रुपए तय किये हैं। जबकि पिछले चार सालों में भत्ता में हुए कुल खर्च 505 करोड़ हुआ था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय योजनाओं में से एक आर्थिक हल युवाओं को बल के तहत मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का शुभारम्भ 2 अक्टूबर 2016 को हुआ था। उस समय यह आकलन हुआ था कि पांच साल में सूबे के 68 लाख से अधिक 12वीं पास युवकों को रोजगार खोजने के लिए 1000-1000 भत्ता दिया जाएगा।
उस समय सरकार की सोच थी कि पांच साल में 1.37 करोड़ छात्र 12वीं पास करेंगे। अगर इनमें से 50 फीसदी को भी रोजगार के लिए भत्ता दिया जायेगा तो इसकी संख्या 68 लाख हो जाएगी। लेकिन चार साल में लगभग 4.5 लाख को ही रोजगार खोजने के लिए भत्ता मिल सका है। इस बार सरकार ने तय किया है कि योग्य आवेदकों को हर हाल में बेरोजगार भत्ता दिया जाए। कुछ तकनीकी कमी की वजह से कुछ आवेदकों को चार साल में भत्ता नहीं मिल सका है। इसलिए आवेदन करने से पहले जांच हो और जो भी त्रुटि हो उसे समय रहते दूर कर लिया जाय।
यह भत्ता 20 से 25 वर्ष के बेरोजगार युवकों को ही मिलता है। 1000-1000 प्रतिमाह दो वर्षों तक भत्ता मिलता है। यह भत्ता उन्हीं युवकों को मिलेगा जो पढ़ाई नहीं कर रहे होंगे। साथ ही जिन्हें छात्रवृत्ति, सरकारी भत्ता या कौशल विकास की सुविधा या स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की सुविधा नहीं मिल रही है ऐसे बेरोजगार युवा ऐसे भत्ता का लाभ ले सकते हैं। स्थायी या अस्थायी नियोजन होते ही यह भत्ता बंद हो जाएगा।